निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार का किया विरोध कहा- भूमि विवाद पर पहले हो फैसला

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नई दिल्ली: रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दाखिल की है और केंद्र सरकार की अयोध्या में अधिग्रहीत की गई अतिरिक्त जमीन को वापस देने की अर्जी का विरोध किया है. अखाड़ा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को पहले भूमि विवाद का फैसला करना चाहिए.
केंद्र के जमीन अधिग्रहण करने से अखाड़ा द्वारा संचालित कई मंदिर नष्ट हो गए. ऐसे में केंद्र को ये जमीन किसी को भी वापस करने के लिए नहीं दी जा सकती. अखाड़ा ने ये भी कहा है कि रामजन्मभूमि न्यास को अयोध्या में बहुमत की जमीन नहीं दी जा सकती.
अखाड़ा ने ये याचिका केंद्र सरकार की जनवरी की याचिका पर दाखिल की है जिसमें सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वो विवादित भूमि के अलावा अधिग्रहीत की गई जमीन को वापस लौटाना चाहता है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अर्जी पर सुनवाई नहीं की है.
केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि 67 एकड़ का जमीन सरकार ने अधिग्रहण किया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था. सरकार चाहती है कि जमीन का बडा हिस्सा राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम इसकी इज़ाजत दे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-
  • मध्यस्था पर मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन
  • एक हफ्ते में शुरु हो मध्यस्थता
  • यूपी सरकार करेगी सारे इंतजाम
  • मध्यस्थ चाहें तो और भी सदस्य शामिल कर सकते हैं
  • इन कैमरा होगी मध्यस्थता
– सुप्रीम कोर्ट ने तीन मध्यस्थ नियुक्त किया- 
  • जस्टिस इब्राहिम खल्लीफुल्ला,
  • श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar)
  • श्रीराम पंचू, वरिष्ठ वकील
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहम बातें:
  • सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की मीडिया रिपोर्टिंग पर पूरी तरह बैन लगा दिया है.
  • सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि चार हफ्ते में प्रोग्रेस रिपोर्ट दी जाए और  मध्यस्थता की पहल फैजाबाद में होगी.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता में तीन मध्यस्थ होंगे. इसमें श्री श्री रविशंकर भी होंगे
  • जल्द से जल्द मध्यस्थता का काम किया जाए.
  • राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थता होगी: – संविधान पीठ का फैसला
  • सुप्रीम कोर्ट ने आपसी समझौते के जरिए हल निकालने का रास्ता साफ किया
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें मध्यस्था में कोई कानूनी अड़चन नहीं लगती
  • मध्यस्थता की प्रक्रिया गोपनीय रहेगी
  • जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता में होगी मध्यस्थता

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