मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में मील का पत्थर, 21 किमी सुरंग में पहला ब्रेकथ्रू हासिल

नई दिल्ली: मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) और शिलफाटा के बीच बन रही 21 किलोमीटर लंबी सुरंग में 9 जुलाई 2025 को पहला ब्रेकथ्रू हासिल किया गया। इस उपलब्धि के तहत 2.7 किलोमीटर लंबे निरंतर सुरंग खंड का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा किया गया है, जो इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए एक बड़ा कदम है।

राष्ट्रीय उच्च गति रेल निगम लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के जारी बयान के अनुसार, इस 21 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण दो अलग-अलग तकनीकों का उपयोग करके किया जा रहा है। इसमें से 5 किलोमीटर का हिस्सा शिलफाटा और घनसोली के बीच न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) के जरिए बनाया जा रहा है, जबकि शेष 16 किलोमीटर का निर्माण अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीनों (टीबीएम) का उपयोग करके किया जाएगा। इस सुरंग का एक विशेष हिस्सा ठाणे क्रीक के नीचे 7 किलोमीटर लंबा समुद्र के नीचे का खंड है, जो इस परियोजना को तकनीकी रूप से और भी जटिल बनाता है।

निर्माण में तेजी के लिए नवोन्मेषी कदम

एनएटीएम खंड में निर्माण कार्य को गति देने के लिए एक अतिरिक्त मध्यवर्ती सुरंग (एडीआईटी) का निर्माण किया गया है। यह मध्यवर्ती सुरंग घनसोली और शिलफाटा की ओर एक साथ खुदाई की सुविधा प्रदान करती है, जिससे समय और संसाधनों की बचत हो रही है। अब तक शिलफाटा की ओर से 1.62 किलोमीटर की खुदाई पूरी हो चुकी है, और एनएटीएम खंड में कुल प्रगति 4.3 किलोमीटर तक पहुंच गई है।

सुरक्षा पर विशेष ध्यान

इस परियोजना में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। निर्माण स्थल पर अत्याधुनिक सुरक्षा उपाय लागू किए गए हैं, जिनमें ग्राउंड सेटलमेंट मार्कर, पीजोमीटर, इनक्लिनोमीटर, स्ट्रेन गेज और बायोमेट्रिक एक्सेस कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं। ये उपाय सुनिश्चित करते हैं कि निर्माण कार्य के दौरान आस-पास की संरचनाओं को कोई नुकसान न पहुंचे और कार्य सुरक्षित व नियंत्रित तरीके से हो।

बुलेट ट्रेन परियोजना का महत्व

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना भारत की पहली हाई-स्पीड रेल परियोजना है, जो 508 किलोमीटर की दूरी को मात्र 2 घंटे में तय करने की क्षमता रखती है। यह परियोजना न केवल दो प्रमुख आर्थिक केंद्रों—मुंबई और अहमदाबाद—को जोड़ेगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास, रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे के उन्नयन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। इस सुरंग का निर्माण इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मुंबई जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र में रेल नेटवर्क को सुगम बनाने में मदद करेगा।

भविष्य की योजनाएं

एनएचएसआरसीएल ने बयान में बताया कि अगले चरण में टीबीएम के जरिए शेष 16 किलोमीटर सुरंग का निर्माण तेजी से किया जाएगा। परियोजना के 2028 तक पूर्ण होने की उम्मीद है, जिसके बाद यह बुलेट ट्रेन भारत में परिवहन के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करेगी।

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