‘ऑपरेशन सिंदूर ने बहुत स्पष्ट संदेश दिया, भारत आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करेगा’, जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में दिया कड़ा संदेश

राष्ट्रीय जजमेंट

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बुधवार को एफबीआई निदेशक काश पटेल और अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के साथ अलग-अलग बैठकें कीं और आतंकवाद तथा वैश्विक स्थिति पर चर्चा की। पटेल के साथ बैठक में जयशंकर ने आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और संगठित अपराध से निपटने में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग की सराहना की।इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया को बहुत स्पष्ट संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करेगा। जयशंकर ने बुधवार को वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के बयान और सुरक्षा परिषद द्वारा 25 अप्रैल को जारी बयान में हमारे लिए जो महत्वपूर्ण है, वह यह कि आतंकवाद के अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।’’उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है क्योंकि तब हमें दुनिया को बताना होगा कि हमने क्या किया। सात मई को शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उद्देश्य यह है कि अगर आतंकवादी हमले होते हैं तो हम उन्हें अंजाम देने वालों, उनके समर्थकों, वित्तपोषकों और सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इसलिए मुझे लगता है कि यह संदेश बहुत स्पष्टता के साथ दिया गया।’’क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों – जयशंकर, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो, ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग और जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में सीमा पार आतंकवाद सहित हर प्रकार के आतंकवाद एवं हिंसक अतिवाद के सभी कृत्यों की स्पष्ट निंदा की गई।‘क्वाड’ ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की साजिश रचने वालों, उसे अंजाम देने वालों और इसके वित्त पोषकों को बिना किसी देरी के न्याय के कठघरे में लाने का आह्वान किया तथा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इस संबंध में सहयोग बढ़ाने की अपील की। ‘क्वाड’ के सदस्य देशों ने 22 अप्रैल को हुए इस आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दृढ़तापूर्वक समर्थन किया।पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘हम इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, इसे अंजाम देने वालों और वित्तपोषकों को बिना किसी देरी के न्याय के कठघरे में लाने का आह्वान करते हैं तथा संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से आग्रह करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों के अनुसार इस संबंध में सभी संबंधित प्राधिकारों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करें।’’
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस वक्तव्य में पहलगाम हमले की निंदा की गई और सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य को अंजाम देने वालों, वित्तपोषकों एवं प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादियों के बुनियादी ढांचों को निशाना बनाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था।
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से संबद्ध ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली थी। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने ‘क्वाड’ के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर अपने समकक्षों को आतंकवाद की उस चुनौती की प्रकृति के बारे में बताया कि जिसका सामना भारत कर रहा है और जिसे वह कई दशकों से झेल रहा है तथा ‘‘हम आज इसका बहुत दृढ़ता से जवाब देने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं और हमें अपनी रक्षा करने का अधिकार है।’’
जयशंकर ने कहा कि ‘क्वाड’ में चर्चा के अलावा उनकी रुबियो के साथ अच्छी द्विपक्षीय बैठक हुई और दोनों नेताओं ने ‘‘पिछले छह महीनों के घटनाक्रम पर चर्चा की’’ एवं आगे की राह पर विचार विमर्श किया। उन्होंने कहा, ‘‘इस मुलाकात के दौरान व्यापार एवं निवेश, प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा और गतिशीलता पर चर्चा की गई।’’ उन्होंने बताया कि जयशंकर ने अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट के साथ भी अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता की।
अमेरिका के सांसद लिंडसे ग्राहम के एक विधेयक के तहत रूसी तेल खरीदने वाले देशों से आयात पर 500 प्रतिशत शुल्क लगाने की अमेरिकी योजना को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारतीय दूतावास और अधिकारी इस मुद्दे पर ग्राहम के संपर्क में हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘…ऊर्जा सुरक्षा को लेकर हमारी चिंताओं और हमारे हितों से उन्हें अवगत करा दिया गया है।

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