दिल्ली के रैन बसेरों में घोस्ट कर्मचारियों पर डूसिब की सख्ती: आधार-बायोमेट्रिक सत्यापन शुरू

नई दिल्ली: दिल्ली के रैन बसेरों में घोस्ट कर्मचारियों की समस्या को लेकर दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) ने सख्त कदम उठाया है। शनिवार को क्लस्टर एक के सभी कर्मचारियों को आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए डूसिब कार्यालय में बुलाया गया। यह प्रक्रिया दिल्ली के 16 क्लस्टरों में फैले 198 रैन बसेरों के सभी कर्मचारियों के लिए लागू होगी। डूसिब सोमवार, 30 जून से क्लस्टर दो के कर्मचारियों का सत्यापन करेगा, और क्रमबद्ध तरीके से सभी क्लस्टरों के कर्मचारियों सत्यापन होगा।

दिल्ली शेल्टर होम वर्कर यूनियन के अध्यक्ष और रैन बसेरा केयरटेकर अभिषेक बाजपाई ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, “रैन बसेरों में कर्मचारियों की कमी एक गंभीर समस्या है। कई जगहों पर कर्मचारियों की संख्या पूरी नहीं है, और घोस्ट कर्मचारियों के नाम पर संचालन हो रहा है। कर्मचारियों को उनके हक, जैसे समय पर वेतन और अन्य सुविधाएं, नहीं मिल रही हैं। डूसिब का आधार-बायोमेट्रिक सत्यापन का आदेश एक स्वागत योग्य कदम है। आज क्लस्टर एक के कर्मचारियों का सत्यापन शुरू हुआ है, और हम उम्मीद करते हैं कि यह प्रक्रिया सभी रैन बसेरों में जल्द पूरी होगी।

दिल्ली शेल्टर होम वर्कर यूनियन के महासचिव विकी शर्मा ने भी डूसिब के इस कदम की सराहना की, लेकिन साथ ही देरी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “काफी समय से रैन बसेरों में घोस्ट कर्मचारियों के नाम पर काम चल रहा था। कई कर्मचारी केवल कागजों पर मौजूद थे, जबकि वास्तव में ड्यूटी पर कम लोग होते थे। इससे रैन बसेरों की सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा था। डूसिब ने अब जाकर इस समस्या पर ध्यान दिया है। आज क्लस्टर एक के सभी कर्मचारियों को आधार-बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए बुलाया गया है, और यह प्रक्रिया पूरे दिल्ली के रैन बसेरों में लागू होगी। हम चाहते हैं कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी हो।

रैन बसेरों में घोस्ट कर्मचारियों की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही थीं। कई रैन बसेरों में कर्मचारियों की संख्या कागजों पर पूरी दिखाई जाती थी, लेकिन वास्तव में ड्यूटी पर कम लोग मौजूद रहते थे। इससे न केवल कर्मचारियों के अधिकारों का हनन हो रहा था, बल्कि बेघर लोगों को दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही थी। आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन के जरिए डूसिब का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक कर्मचारी ही रैन बसेरों में काम करें और उनके काम का सही हिसाब रखा जाए।

डूसिब के एक अधिकारी ने बताया कि आधार-बायोमेट्रिक सत्यापन की प्रक्रिया को व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से लागू किया जा रहा है। “हमने क्लस्टर एक से शुरुआत की है, और जल्द ही क्लस्टर दो के कर्मचारियों का सत्यापन होगा। अगले कुछ हफ्तों में सभी क्लस्टरों के रैन बसेरों के कर्मचारियों का सत्यापन पूरा कर लिया जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद कर्मचारियों की उपस्थिति और उनके काम की निगरानी के लिए नियमित बायोमेट्रिक हाजिरी लागू की जा सकती है।

दिल्ली में रैन बसेरे बेघर लोगों के लिए महत्वपूर्ण आश्रय स्थल हैं, जो सर्दी, गर्मी और बरसात में सुरक्षित ठिकाना प्रदान करते हैं। हालांकि, कर्मचारियों की कमी और कुप्रबंधन की शिकायतें इनके संचालन को प्रभावित करती रही हैं। डूसिब का यह नया कदम न केवल कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करेगा, बल्कि रैन बसेरों की सेवाओं को और बेहतर बनाने में भी मदद करेगा।

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