जाति जनगणना का जिक्र क्यों नहीं है? Census 2027 को लेकर कांग्रेस ने उठाए सवाल

राष्ट्रीय जजमेंट

कांग्रेस पार्टी ने भारत की 16वीं जनगणना के लिए सरकार की अधिसूचना को जाति समावेशन पर उसकी चुप्पी के कारण ‘निष्क्रिय पटाखा’ करार दिया है। उनका कहना है कि यह सरकार की ओर से एक और नीतिगत बदलाव का संकेत हो सकता है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने तेलंगाना मॉडल को न अपनाने के लिए सरकार की आलोचना की, जिसमें जाति के आधार पर विस्तृत सामाजिक-आर्थिक डेटा शामिल है। उन्होंने इस दृष्टिकोण की आवश्यकता में पार्टी के विश्वास पर जोर दिया।

जयराम रमेश ने दावा किया कि अगस्त 1991 में मंडल आयोग पर भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और मंडल आंदोलन के जवाब में उन्होंने कैमंडल आंदोलन शुरू कर दिया। तो चलिए इस इतिहास में नहीं जाते। मैं यह भी बता सकता हूँ कि आरएसएस ने नवंबर 1949 से भारत के संविधान का विरोध कैसे किया और योगी आदित्यनाथ ने आरक्षण का विरोध कैसे किया, आरएसएस नेताओं ने आरक्षण का विरोध कैसे किया।

कांग्रेस नेता ने कहा कि भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। अगर केंद्र जनगणना नहीं करना चाहता है तो राज्यों के पास जातिगत सर्वेक्षण के अलावा कोई विकल्प नहीं है। तेलंगाना, कर्नाटक और बिहार समेत कई राज्यों ने जातिगत सर्वेक्षण किए हैं। प्रधानमंत्री लगातार जातिगत जनगणना का विरोध करते रहे हैं। 28 अप्रैल 2024 को उन्होंने जातिगत जनगणना चाहने वालों को अर्बन नक्सल कहा था। उन्होंने 21 सितंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि हम जातिगत जनगणना के खिलाफ हैं और हमारा जातिगत जनगणना करने का कोई इरादा नहीं है।

उन्होंने कहा कि आज के गजट नोटिफिकेशन में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल में अक्टूबर 2026 के आखिर में जनगणना होगी और देश के बाकी हिस्सों में मार्च 2027 में जनगणना होगी। इसमें जाति जनगणना शब्द का जिक्र नहीं है। तो मेरा सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री ने फिर से अपना विचार बदल दिया है? जाति जनगणना का जिक्र क्यों नहीं है?

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