सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नौकरी जाने से बहुत परेशान थे टीचर, हड़ताल पर बैठे, अब प्रवीण कर्माकर की ब्रेन स्ट्रोक से मौत

राष्ट्रीय जजमेंट

एसएससी भर्ती घोटाले के कारण पश्चिम बंगाल में बर्खास्त किए गए एक स्कूल शिक्षक की स्ट्रोक से मौत हो गई है, जिससे प्रदर्शनकारियों में फिर से आक्रोश फैल गया है। एक पूर्व अंग्रेजी शिक्षक 34 वर्षीय प्रबीर कर्माकर उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) के माध्यम से की गई 25,753 स्कूल नियुक्तियों को रद्द करने के बाद अपनी नौकरी खो दी थी। कर्माकर मुर्शिदाबाद के अमुईपारा उदबस्तु विद्यापीठ में पढ़ाते थे। उनका बुधवार देर रात रघुनाथगंज स्थित उनके आवास पर निधन हो गया।प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कर्माकर किडनी से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे थे और नौकरी जाने के बाद गंभीर मानसिक संकट में थे। उन्होंने दावा किया कि उनके इलाज को लेकर चिंता और अनिश्चित भविष्य के कारण उनकी मौत हुई। प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने आरोप लगाया कि कई सप्ताह के प्रदर्शन के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दोनों ने उन्हें पूरी तरह नजरअंदाज किया है। योग्य शिक्षकों की बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे योग्य शिक्षक शिक्षा अधिकार मंच ने एक बयान जारी कर करमाकर की मौत के लिए राज्य सरकार के इस मुद्दे से निपटने के तरीके को जिम्मेदार ठहराया। बढ़ते तनाव के बीच, राज्य सरकार ने शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर एसएससी परीक्षा के नए दौर की शुरुआत करने के लिए एक गजट अधिसूचना प्रकाशित की, जिससे नए शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो गई। प्रदर्शनकारी चिन्मय मंडल ने कहा कि नियुक्ति पैनल को रद्द करने और जारी राजनीतिक अनिर्णय के कारण उत्पन्न तनाव से कर्माकर निपटने में असमर्थ थे… बर्खास्त शिक्षकों की पुनः परीक्षा लेने के मुख्यमंत्री के हाल के सुझाव ने भावनात्मक बोझ को और बढ़ा दिया है, जिसे कई लोग पहले से ही झेल रहे थे। इससे पहले लगभग 50 बेरोजगार शिक्षकों को दो स्थानों पर हिरासत में लिया गया, जब वे विरोध प्रदर्शन करने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय जा रहे थे। समूह पात्र शिक्षकों की स्थायी बहाली की मांग करने के लिए इकट्ठा हुआ था, और भर्ती परीक्षा फिर से लेने के राज्य के निर्देश का विरोध कर रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल सरकार पर राज्य की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने और हजारों लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया। जवाब में, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र पर पाखंड का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार कहीं अधिक व्याप्त है।

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