भुगतान प्रणालियों के नियमन, पर्यवेक्षण के लिए छह-सदस्यीय बोर्ड बनेगाः आरबीआई

राष्ट्रीय जजमेंट

रिजर्व बैंक के गवर्नर की अगुवाई वाला छह सदस्यीय भुगतान विनियामक बोर्ड (पीआरबी) अब देश में भुगतान प्रणालियों का विनियमन एवं पर्यवेक्षण करेगा। इसमें केंद्र सरकार के तीन नामित व्यक्ति भी होंगे।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक अधिसूचना में यह जानकारी दी है। इसके मुताबिक, नया निकाय भुगतान एवं निपटान प्रणाली नियमन एवं पर्यवेक्षण बोर्ड (बीपीएसएस) की जगह लेगा।

पांच सदस्यीय बीपीएसएस की कमान भी आरबीआई गवर्नर के ही पास होती है लेकिन इसमें कोई सरकारी नामित व्यक्ति नहीं होता है। रिजर्व बैंक ने 21 मई को भुगतान विनियामक बोर्ड विनियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है।

अधिसूचना के मुताबिक, भुगतान विनियामक बोर्ड (पीआरबी) की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करेंगे जबकि भुगतान और निपटान प्रणाली के प्रभारी डिप्टी गवर्नर, केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित आरबीआई के एक अधिकारी और केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन व्यक्ति इसके अन्य सदस्य होंगे। हरेक सदस्य के पास एक वोट होगा।

आरबीआई गवर्नर, डिप्टी गवर्नर और केंद्रीय बैंक के अधिकारी बोर्ड के ‘पदेन’ सदस्य के रूप में कार्य करेंगे। पीआरबी भुगतान एवं निपटान प्रणाली, सूचना प्रौद्योगिकी और कानून के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को स्थायी या तदर्थ आमंत्रित सदस्य के तौर पर बैठक में आमंत्रित कर सकता है जबकि आरबीआई के प्रमुख कानूनी सलाहकार बैठकों में स्थायी आमंत्रित सदस्य होंगे।

बोर्ड की आम तौर पर साल में कम-से-कम दो बैठकें होंगी। सरकार ने भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 में संशोधन को अंतिम रूप देने के लिए आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति बनाई थी।

समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में भुगतान संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए एक स्वतंत्र नियामक के तौर पर भुगतान विनियामक बोर्ड के निर्माण का सुझाव दिया था। हालांकि आरबीआई ने अक्टूबर 2018 में केंद्रीय बैंक के दायरे के बाहर भुगतान प्रणालियों के लिए एक नियामक होने की सिफारिश पर असहमति जताई थी।

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