आसाराम को 30 जून तक मिली अंतरिम जमानत, हाई कोर्ट ने अर्जी को किया स्वीकार

राष्ट्रीय जजमेंट 

जोधपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय ने सोमवार को बलात्कार के एक मामले में स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम की अंतरिम जमानत 1 जुलाई तक बढ़ा दी। 31 मार्च को अपनी अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद आसाराम ने 1 अप्रैल को जोधपुर सेंट्रल जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था। न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और विनीत कुमार की खंडपीठ ने आसाराम के अनुरोध को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों को बरकरार रखा। इन शर्तों में प्रवचन देने या अपने अनुयायियों के साथ सभा करने पर प्रतिबंध शामिल है।
आसाराम की याचिका पर 2 अप्रैल को सुनवाई हुई, जिस दौरान प्रतिवादी के वकील पी.सी. सोलंकी ने जमानत अवधि बढ़ाने पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि आसाराम ने इंदौर स्थित अपने आश्रम में अपने भक्तों के लिए प्रवचन आयोजित करके अपनी जमानत शर्तों का उल्लंघन किया है। सोलंकी ने अपने दावों के समर्थन में अदालत में वीडियो साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसके बाद अदालत ने आसाराम से हलफनामा मांगा।
आसाराम के वकील निशांत बोरा ने पुष्टि की कि हलफनामा सोमवार को प्रस्तुत किया गया था और कहा कि अदालत ने हलफनामा स्वीकार कर लिया और 1 जुलाई तक अंतरिम जमानत बढ़ाने के हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया। अपने आत्मसमर्पण के बाद, आसाराम को 1 अप्रैल की रात को एक निजी आयुर्वेद अस्पताल में भर्ती कराया गया। इससे पहले उन्हें सूरत में एक अलग बलात्कार मामले में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा 28 मार्च को तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी।

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