जानें रुद्राक्ष की असली पहचान और राशि के अनुसार व्यबहारिक सम्बन्ध

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अध्यात्मवादी विशेषज्ञ ज्योतिषियों का नजर में प्रकृत्ति की एक महती अवदान ये रहस्यमयी पवित्र रुद्राक्ष, सिर्फ स्वयम्भू शिवजी के आंख से सम्बंधित नहीं है,अपितु बारह राशियां, नवग्रह और देव- देविओं के साथ भी जोड़े हुए है। यथा-
१. मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल है। इसलिए ऎसे जातक सौभाग्य वृद्धि के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें।।
२. वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्र है। अतः इस राशि के जातकों के लिए छह मुखी रुद्राक्ष फायदेमंद होता है।।
३. मिथुन राशि के स्वामी ग्रह बुध है। इस राशि वालों के लिए चार मुखी रुद्राक्ष उत्तम है।।
४. कर्क राशि के स्वामी ग्रह चंद्रमा है। इस राशि के लिए दो मुखी रुद्राक्ष लाभकारी है।।
५. सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्य है। इस राशि के लिए एक या बारह मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा।।
६. कन्या राशि के स्वामी ग्रह बुध है। इनके लिए चार मुखी रुद्राक्ष लाभदायक है।।
७. तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र है। इनके लिए छह मुखी रुद्राक्ष व तेरह मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा।।
८. वृश्चिक राशि के स्वामी ग्रह मंगल है। इनके लिए तीन मुखी रुद्राक्ष अवश्य लाभदायक होगा।।
९. धनु राशि के स्वामी ग्रह वृहस्पति है। ऎसे जातकों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष उपयोगी है।।
१०. मकर राशि के स्वामी ग्रह शनि है। इनके लिए सात या चौदह मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा।।
११. कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनि है। इनके लिए सात या चौदह मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होगा।।
१२. मीन राशि के स्वामी ग्रह गुरु है। इस राशि के जातकों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा।।
१३. निर्द्दिष्ट रूप में राहु के लिए आठ मुखी रुद्राक्ष और केतु के लिए नौ मुखी रुद्राक्ष श्रेय होने की उपदेश विद्वानों से उपलब्ध है।
अनुभवी रुद्राक्ष तत्व संग्राहकों का दावा है कि, एक कटोरे में पानी उबालें और इस उबलते पानी में एक- दो मिनट के लिए रूद्राक्ष डाल दें; फिर कटोरे को चूल्हे से उतारकर ढक दें। दो चार मिनट बाद ढक्कन हटा कर रूद्राक्ष को निकालकर ध्यान से देखें, मालूम हो जाएगा– असली या नकली है।।
अथवा रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें; यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा।।
इसके आलावा रुद्राक्ष को पानी में डाल दें; अगर वह डूब जाता है तो असली, नहीं डूबेगी तो नकली। लेकिन यह जांच अच्छी नहीं मानी जाती है, क्योंकि रुद्राक्ष के डूबने या तैरने की क्षमता उसके घनत्व एवं कच्चे या पके होने पर निर्भर करती है और मेटल या किसी अन्य भारी चीज से बना रुद्राक्ष भी पानी में डूब जाता है।।
—यदि रूद्राक्ष में जोड़ लगाया होगा तो वह फट जाएगा। दो रूद्राक्षों को चिपकाकर गौरीशंकर रूद्राक्ष बनाया होगा या शिवलिंग, सांप आदी चिपकाए होंगे तो वह अलग हो जाएंगे।।
—जिन रूद्राक्षों में सोल्यूशन भरकर उनके मुख बंद करे होंगे, उनके मुंह खुल जाएंगे। यदि रूद्राक्ष प्राकृतिक तौर पर फटा होगा, तो थोड़ा और फट जाएगा। बेर की गुठली होगी तो नर्म पड़ जाएगी, जबकि असली रूद्राक्ष में अधिक अंतर नहीं पड़ेगा।
-यदि रूद्राक्ष पर से रंग उतारना हो तो उसे नमक मिले पानी में डालकर गर्म करें; उसका रंग हल्का पड़ जाएगा। वैसे रंग करने से रूद्राक्ष को नुकसान नहीं होता है।।
—दुसरा कारण तांबे के दो सिक्को के बीच रुद्राक्ष को रख कर दबाने पर यो घूमता है; मगर यह सब जगह सत्य नही, क्योंकि कोई दबाव अधिक लगायेगा तो वो किसी न किसी दिशा में असली जैसी घूमेगा ही। इस तरह की और धारणाएं है, जो की रुद्राक्ष के असली होने का प्रणाम नही देती।।
—-असली के लिए रुद्राक्ष को सुई से कुदेरने पर रेशा निकले तो असली और कोई और रसायन निकले तो नकली। असली रुद्राक्ष देखे तो उनके पठार एक दुसरे से मेल नही खाते होगे; पर नकली रुद्राक्ष देखो या उनके ऊपरी पठार एक जैसे नजर आयेगा, जैसे
गोरी शंकर; व गोरी पाठ रुद्राक्ष कुदरती रूप से जुड़े होते है; परन्तु नकली रुद्राक्ष को काट कर इन्हे जोड़ना कुशल कारीगरों की कला है; परन्तु यह कला किसी को फायदा नही दे सकती।।
—ऐसे ही एक मुखी गोल दाना रुद्राक्ष काफी महंगा व अप्राप्त है; पर कारीगर इसे भी बना कर लाभ ले रहे है। परन्तु पहनने वाले को इसका दोष लगता है। नकली रुद्राक्ष की धारिया सीधी होगी; पर
असली रुद्राक्ष की धारिया आढी टेडी होगी। कभी कबार बेर की गुठली पर रंग चढ़ाकर कारीगर द्वारा उसे रुद्राक्ष का आकार दे कर भी बाजार में बेचा जाता है।।
—-इसकी परख के लिए इसे काफी पानी में उबालने से पता चल जाता है। परन्तु असल में कुछ नही होता; वो पानी ठण्डा होने पर वैसा ही निकलेगा।।
—कोई भी दो जोड़े हुए रुद्राक्षों को अलग करेंगे तो बीच में से वो सपाट निकलेगें; परन्तु असली आढा टेढा होकर टुटेगा। नो मुखी से लेकर 21 मुखी व एक मुखी गोल दाना गोरी शंकर , गोरी पाठ आदि यह मंहगे रुद्राक्ष है।।
—सरसों के तेल मे डालने पर रुद्राक्ष अपने रंग से गहरा दिखे तो समझो वो एक दम असली है।।
— रूद्राक्ष को जल में डालने से यह डूब जाये तो असली, अन्यथा नकली। किन्तु अब यह पहचान व्यापारियों के शिल्प ने समाप्त कर दी।
जैसे, शीशम की लकड़ी के बने रूद्राक्ष आसानी से पानी में डूब जाते हैं।।
–रुद्राक्ष को काटने पर यदि उसके भीतर उतने ही घेर दिखाई दें जितने की बाहर हैं, तो यह असली रुद्राक्ष होगा। यह परीक्षण सही माना जाता है, किंतु इसका नकारात्मक पहलू यह है कि रुद्राक्ष नष्ट हो जाता है।।
—- तांबे का एक टुकड़ा नीचे रखकर उसके ऊपर रूद्राक्ष रखकर, फिर दूसरा तांबे का टुकड़ा रूद्राक्ष के ऊपर रख दिया जाये और एक अंगुली से हल्के से दबाया जाये तो असली रूद्राक्ष नाचने लगता है। यह पहचान ही अभी तक प्रमाणिक हैं।।
— शुद्ध सरसों के तेल में रूद्राक्ष को डालकर 10 मिनट तक गर्म किया जाये तो असली रुद्राक्ष होने पर वह अधिक चमकदार हो जायेगा और यदि नकली है तो वह धूमिल हो जायेगा।।
—प्रायः पानी में डूबने वाला रूद्राक्ष असली और जो पानी पर तैर जाए उसे नकली माना जाता है। लेकिन यह सच नहीं है। पका हुआ रूद्राक्ष पानी में डूब जाता है, जबकी कच्चा रूद्राक्ष पानी पर तैर जाता है।
इसलिए इस प्रक्रिया से रूद्राक्ष के पके या कच्चे होने का पता तो लग सकता है, असली या नकली होने का नहीं।।
— प्रायः गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं। असलियत में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है। बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है।
रंग कम होने से कभी- कभी हल्का रह जाता है। काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष प्रायः इस्तेमाल किए हुए होते हैं, ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है।।
—- कुछ रूद्राक्षों में प्राकृतिक रूप से छेद होता है। ऐसे रूद्राक्ष बहुत शुभ माने जाते हैं। जबकि ज्यादातर रूद्राक्षों में छेद करना पड़ता है।।
— दो अंगूठों या दो तांबे के सिक्कों के बीच घूमने वाला रूद्राक्ष असली है, यह भी एक भ्रांति ही है। इस तरह रखी गई वस्तु किसी दिशा में तो घूमेगी ही। यह उस पर दिए जाने दबाव पर निर्भर करता है।।
—रूद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से कुरेदें। अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा।।
—नकली रूद्राक्ष के उपर उभरे पठार एकरूप हों तो वह नकली रूद्राक्ष है। असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भी एकरूप नहीं होगी। जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते, उसी तरह दो रूद्राक्षों के उपरी पठार समान नहीं होते। मगर नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं।।
—कुछ रूद्राक्षों पर शिवलिंग, त्रिशूल या सांप आदि बने होते हैं। यह प्राकृतिक रूप से नहीं बने होते, बल्कि कुशल कारीगरी का नमूना होते हैं। रूद्राक्ष को पीसकर उसके बुरादे से यह आकृतियां बनाई जाती हैं।।
—कभी- कभी दो या तीन रूद्राक्ष प्राकृतिक रूप से जुड़े होते हैं। इन्हें गौरी शंकर या गौरी पाठ रूद्राक्ष कहते हैं। इनका मूल्य काफी अधिक होता है। इस कारण इनके नकली होने की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है। कुशल कारीगर दो या अधिक रूद्राक्षों को मसाले से चिपकाकर इन्हें बना देते हैं।।
—प्रायः पांच मुखी रूद्राक्ष के चार मुंहों को मसाला से बंद कर एक मुखी कह कर बेचा जाता है, जिससे इनकी कीमत बहुत बढ़ जाती है। ध्यान से देखने पर मसाला भरा हुआ दिखायी दे जाता है। कभी-कभी पांच मुखी रूद्राक्ष को कुशल कारीगर और धारियां बनाकर, अधिक मुख का बना देते हैं। जिससे इनका मूल्य बढ़ जाता है।।
—प्राकृतिक तौर पर बनी धारियों या मुख के पास के पठार उभरे हुए होते हैं, जबकी मानव निर्मित पठार सपाट होते हैं। ध्यान से देखने पर इस बात का पता चल जाता है। इसी के साथ मानव निर्मित मुख एकदम सीधे होते हैं, जबकि प्राकृतिक रूप से बने मुख पूरी तरह से सीधे नहीं होते।।
—प्रायः बेर की गुठली पर रंग चढ़ाकर उन्हें असली रूद्राक्ष कहकर बेच दिया जाता है। रूद्राक्ष की मालाओं में बेर की गुठली का ही ज्यादा उपयोग किया जाता है।।
— रुद्राक्ष के दानों को तेज धूप में काफी समय तक रखने से अगर रुद्राक्ष पर दरार न आए या वह टूटे नहीं तो असली माने जाते हैं । रुद्राक्ष को खरीदने से पहले कुछ मूलभूत बातों का अवश्य ध्यान रखें,
जैसे की रुद्राक्ष में किडा़ न लगा हो, टूटा- फूटा न हो, पूर्ण गोल न हो। जो रुद्राक्ष छिद्र करते हुए फट जाए, उस रुद्राक्षों को भी धारण नहीं करना चाहिए।।
रुद्राक्ष की असली-नकली परीक्षा के लिए और भी उपाय होगा, फिर भी जितने उपाय दिया गया है, बस इतनी को ही नजर में रखने से भी ठगी से बचना मुश्किल नहीं होगा।
ज्योतिर्विद पं उमाकांत दुबे

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