मणिपुर में क्यों लगा राष्ट्रपति शासन? भाजपा ने बताई असली वजह

राष्ट्रीय जजमेंट

एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के चार दिन बाद, केंद्र ने गुरुवार को घोषणा की कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है और राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के फैसले की घोषणा, संसद के दोनों सदनों को बजट सत्र के शेष भाग के लिए 10 मार्च को फिर से स्थगित करने के कुछ घंटों बाद की गई। बड़ा सवाल ये है कि आखिर भाजपा वहां सरकार बनाने में क्यों कामयाब नहीं हो पाई। इसको लेकर अब जवाब आया है। बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कहा कि मणिपुर के राज्यपाल की रिपोर्ट के बाद भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मणिपुर की विधानसभा को निलंबित कर दिया है। मतलब, कि परिस्थितियों के आधार पर भारत के राष्ट्रपति जब भी उचित समझें, भविष्य में किसी भी तारीख पर मणिपुर की विधानसभा को पुनर्जीवित किया जा सकता है। जहां तक ​​भाजपा का सवाल है, हम राज्य में शांति के निरंतर प्रयासों और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कोई समझौता नहीं होगा। मणिपुर में किसी भी तरह की अवैध घुसपैठ की अनुमति नहीं दी जाएगी और इससे सख्ती से निपटा जाएगा। मणिपुर में भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे सिंह ने करीब 21 महीने की जातीय हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। सिंह ने नौ फरवरी को यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के कुछ घंटे बाद इंफाल में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट भेजे जाने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय लिया गया। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पार्टी के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और पार्टी विधायकों के बीच कई दौर की चर्चा के बावजूद पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने में विफल रही।

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