आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने नकली वीजा फैक्ट्री का किया पर्दाफाश, 6 गिरफ्तार

नई दिल्ली: आईजीआई एयरपोर्ट की पुलिस टीम ने फर्जी वीजा रैकेट भांडाफोड किया है। तिलक नगर में छापा मारकर छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान तिलक नगर निवासी मनोज मोंगा, निलोठी गांव निवासी बलबीर सिंह, करनाल निवासी नवीन राणा, नीलोखेड़ी गांव निवासी जसविंद्र सिंह, जींद निवासी आशिफ अली, कुरूक्षेत्र निवासी संदीप और नेपाल के काठमांडू निवासी शिवा गौतम के रूप में हुई है। आरोपियों के पास से 30 फर्जी वीजा स्टीकर, विभिन्न देशों के 23 रबड़ स्टैंप, तीन फर्जी पीआर कार्ड, 14 नेपाल के पासपोर्ट, दो भारत के पासपोर्ट, डाई मशीन समेत वीजा व पासपोर्ट बनाने में इस्तेमाल किया जाने वाला सामान , वॉटरमार्क प्रिंट वाली शीट, लेमिनेशन शीट, गमिंग शीट और मुद्रित लिफाफों के बंडल, लैपटॉप, रंगीन प्रिंटर, स्कैनर, यूवी मशीन, एम्बॉसिंग मशीन, हार्ड ड्राइव, अन्य संबंधित सहायक उपकरण किया गया है।

आईजीआई एयरपोर्ट डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि दो सितंबर को संदीप फर्जी वीजा लेकर इटली जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंचा था। इमीग्रेशन पर उसके कागजात की जांच की गई तो उसके पासपोर्ट पर फर्जी वीजा मिला। आईजीआई एयरपोर्ट थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान संदीप ने बताया कि आशिफ अली ने दस लाख रुपये में उसे इटली भेजने का आश्वासन दिया था। उसने अपने साथी नवीन राणा व शिवा गौतम की मदद से रोम के लिए टिकट और वीजा की व्यवस्था की थी। इस जानकारी के आधार पर पुलिस ने एजेंट आशिफ अली, नवीन राणा और शिवा गौतम को गिरफ्तार कर लिया। उनकी निशानदेही पर एजेंट बलबीर सिंह व जसविंदर सिंह को पकड़ लिया गया। उसने बताया कि फर्जी वीजा मनोज मोंगा ने तैयार किया था। वह फर्जी वीजा बनाने का काम करता है। उसकी निशानदेही पर आरोपी को तिलक नगर से उसके ऑफिस से गिरफ्तार कर लिया गया।

डीसीपी ने बताया कि पूछताछ के दौरान मनोज ने बताया कि उसके पास डेस्कटॉप पब्लिशिंग में डिप्लोमा है और वह कोरल ड्रॉ, फोटोशॉप और ग्राफिक डिजाइनिंग में काफी अच्छा है। वह 20 वर्षों से बैनर, पोस्टर बनाने का काम कर रहा है। पांच वर्ष पहले वह जयदीप सिंह नामक शख्स के संपर्क में आया, उसने उसे नकली वीजा बनाने को कहा। उसने मनोज को नकली वीजा बनाने वाले उपकरण जैसे डाई, रबर स्टैम्प, वीजा स्टिकर उपलब्ध कराए। इसके बाद मनोज ने घर पर ही वीजा बनाने का काम शुरू कर दिया। वह हर महीने 20 से 50 फर्जी बनाता था। शुरुआत में जयदीप सिंह फर्जी वीजा बनाने के ऑर्डर उसे देता था। बाद में उसे और एजेंटों से भी ऑर्डर मिलने लगे। उसने अपने ग्राहकों को वीएफएस ग्लोबल के नाम से नकली नियुक्ति पत्र भी दिए, ताकि उन्हें यह आभास हो कि उनके वीजा वास्तव में खरीदे जा रहे हैं। मनोज मोंगा ने खुलासा किया कि वह अपने कौशल में इतना निपुण हो गया था कि वह औसतन 20-25 मिनट में नकली वीजा स्टिकर बना सकता था। मामले की जांच अन्य सहयोगियों की संलिप्तता का पता लगाने, अन्य एजेंटों को गिरफ्तार करने का प्रयास किया जा रहा है।

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