यूपी एसटीएफ ने सी एसआईआर-नेट परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया, यूनिवर्सिटी स्टाफ समेत 7 गिरफ्तार

राष्ट्रीय जजमेंट 

राज्य के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की एक टीम ने सीएसआईआर-नेट परीक्षा के लिए सॉल्वर मुहैया कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया और यूनिवर्सिटी के प्रमुख कर्मियों और चार आवेदकों समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया। एसटीएफ की एक प्रेस विज्ञप्ति में आरोप लगाया गया है कि गिरोह के सदस्य आवेदकों से उनके परीक्षा के पेपर हल करने के लिए ऑनलाइन सॉल्वर की सुविधा मुहैया कराने के लिए मोटी रकम वसूलते थे।एएसपी ब्रजेश कुमार सिंह द्वारा प्राप्त खुफिया जानकारी के आधार पर एसटीएफ की टीम ने सीएसआईआर-नेट परीक्षा के दौरान मेरठ में सुभारती यूनिवर्सिटी के विधि विभाग की कंप्यूटर लैब पर छापा मारा। टीम ने एक लैपटॉप, पांच सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू), दो बूटेबल पेनड्राइव, चार सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा पहचान पत्र, तीन मोबाइल फोन, तीन आधार कार्ड, दो पैन कार्ड और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए।गिरफ्तार किए गए लोगों में मेरठ में सुभारती विश्वविद्यालय के आईटी मैनेजर अरुण शर्मा, कंप्यूटर लैब असिस्टेंट विनीत कुमार और ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने वाली कंपनी एनएसईआईटी के सर्वर ऑपरेटर अंकुर सैनी शामिल हैं। गिरफ्तार किए गए चार आवेदकों की पहचान अंकित, तमन्ना, मोनिका और ज्योति के रूप में हुई है, जो सभी हरियाणा के रहने वाले हैं।जांच में पता चला कि अरुण शर्मा ने अपने कमरे में एक समानांतर सिस्टम स्थापित किया था और एनएसईआईटी कंपनी के सर्वर ऑपरेटर अंकुर सैनी और लैब असिस्टेंट विनीत कुमार की सहायता से परीक्षा सर्वर तक अनधिकृत पहुंच प्राप्त की थी।इसके बाद, समझौता की गई परीक्षा फाइलों को हरियाणा में अजय नामक एक साथी के साथ साझा किया गया, जिसने परीक्षा पूरी करने के लिए सॉल्वर का आयोजन किया और उन आवेदकों को समाधान वापस भेजे, जिन्होंने इस अवैध सेवा के लिए भुगतान किया था। वित्तीय व्यवस्था में अरुण शर्मा को प्रति पेपर ₹50,000 मिलते थे, जबकि अंकुर सैनी और विनीत कुमार को प्रत्येक को ₹10,000 का भुगतान किया जाता था।गिरोह के अन्य सदस्यों को निशाना बनाकर छापेमारी की जा रही है और गिरफ्तार व्यक्तियों के खिलाफ जिले के जानी थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(2)/338/336(3)/61(2) और 111/3 तथा उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम की धारा 3/5/7/9/10 और आईटी अधिनियम की धारा 66(डी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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