उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को व्यवस्था दी कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के आधार पर किसी अपराध में आरोपी की भूमिका की धारणा देने वाला मजबूत संदेह भी एक आपराधिक मामले में आरोप तय करने को उचित ठहराएगा।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोप तय करने को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत से ‘‘मुकदमे के पूर्वाभ्यास’’ की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए, वह भी तब जब मामला प्रारंभिक चरण में है, जहां निचली अदालत ने केवल आरोप तय किए हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हमें इस स्तर पर मुकदमे का पूर्वाभ्यास नहीं करना है। इस अदालत के विभिन्न फैसलों के जरिये आरोप मुक्त करने के लिये लागू होने वाले परीक्षण स्पष्ट किए गए हैं।’’
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने पीठ की ओर से लिखे गए 46 पन्ने के फैसले में कहा, ‘‘यहां तक कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के आधार पर एक मजबूत संदेह भी, जो किसी अपराध के तथ्यात्मक तत्वों के अस्तित्व को मानने के लिए आधार है, आरोपी व्यक्ति के खिलाफ आरोप तय करने को उचित ठहराएगा।’’
शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली पुनीत सभरवाल और आरसी सभरवाल द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तय करने के निचली अदालत के 2006 के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने याचिकाओं को स्वीकार करने से इनकार करते हुए निचली अदालत को पिछले 25 वर्षों से लंबित मुकदमे की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया।
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