वन भूमि में चिड़ियाघर या सफारी के लिए मंजूरी जरूरी’, अदालत का राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

नई दिल्ली ।सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को देशभर में वन संरक्षण के लिए कई निर्देश जारी किए। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वन भूमि पर अब चिड़ियाघर खोलने या सफारी के किसी भी नए प्रस्ताव को उसकी मंजूरी की आवश्यकता होगी।
अदालत ने इस दलील पर ध्यान दिया कि वन संरक्षण के लिए 2023 का संशोधित कानून करीब 1.99 लाख वर्ग किलोमीटर वन भूमि को वन के दायरे से बाहर रखता है। जिसका इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
विवरण केंद्र को सौंपेंगे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई की। पीठ ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर की वन भूमि का विवरण इस साल 31 मार्च तक केंद्र को प्रदान करें।
पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित होगा विवरण
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 15 अप्रैल तक अपनी वेबसाइट पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से प्रदान किया जाने वाले विवरण अपलोड करेगा। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश वन भूमि, गैर वर्गीकृत वन भूमि और सामुदायिक वन भूमि का ब्योरा केंद्र को सौंपेंगे।
प्रस्ताव को सर्वोच्च न्यायालय देगा अंतिम रूप
अदालत ने कहा कि बिना मंजूरी के वन भूमि में कोई चिड़ियाघर/सफारी को अधिसूचित नहीं किया जाएगा। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत किसी चिड़ियाघर या सफारी शुरू करने के किसी प्रस्ताव को इस अदालत की मंजूरी से पहले अंतिम रूप नहीं दिया जाएगा।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More