केरल सरकार को सर्वोच्च अदालत की दो टूक, कहा- कर्ज सीमा के खिलाफ अंतरिम आदेश संभव नहीं

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्ज लेने की सीमा के खिलाफ केरल सरकार की याचिका पर वह राज्य सरकार के पक्ष में अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने केरल सरकार से इस इसको लेकर मानसिक रूप से तैयार रहने का सुझाव दिया।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब केरल सरकार ने उसे बताया कि 15 फरवरी को केंद्र के साथ उसकी बैठक बेनतीजा रही। पीठ ने कहा, यह शुद्ध रूप से वित्तीय मामला है और इसमें कोई अदालत कितना हस्तक्षेप कर सकती है। वह भी अंतरिम आदेश के जरिये। सुनवाई की शुरुआत में केरल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, उधार लेने के लिए, वे हमें पहले मुकदमा वापस लेने के लिए कह रहे हैं और फिर वे विचार करेंगे। क्या हमें अपने वित्तीय अधिकारों के लिए मुकदमा दायर करने के लिए दंडित किया जाएगा। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने सिब्बल के आरोप का खंडन किया और उधार लेने के लिए दी गई सहमति के आंकड़े देते हुए कहा कि केंद्र ने दिशा-निर्देशों से परे जाकर उन्हें उधार लेने की अनुमति दी। केरल देश का एकमात्र राज्य नहीं है। हम वित्त आयोग के निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं। अब, हम यह भी कह रहे हैं कि हम आपको दिशा-निर्देशों से परे उधार लेने की अनुमति देंगे लेकिन आप बात नहीं कर सकते और मुकदमा नहीं कर सकते।

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