उच्चतम न्यायालय ने मथुरा में शाही ईदगाह के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के आदेश पर रोक लगायी

राष्ट्रीय जजमेंट
उच्चतम न्यायालय ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने 14 दिसंबर 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी जिसमें वह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की निगरानी के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमत हो गया था। मस्जिद परिसर के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि वहां ऐसी निशानियां हैं जिससे पता चलता है कि यह एक वक्त में मंदिर था। शीर्ष अदालत ने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया कि दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश 7 नियम 11 के तहत मुकदमे की विचारणीयता सहित विवाद में उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही जारी रहेगी।

पीठ ने कहा कि कुछ कानूनी मुद्दे खड़े हुए हैं और उसने सर्वेक्षण के लिए अदालत आयुक्त की नियुक्ति की खातिर उच्च न्यायालय के समक्ष पेश ‘‘अस्पष्ट’’ आवेदन पर सवाल उठाए। पीठ ने हिंदू पक्षों जैसे कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान से कहा, ‘‘आवेदन को लेकर हमें आपत्ति है। याचिका को देखिए। यह बहुत अस्पष्ट है। इसे पढ़ें। आप अदालत आयुक्त की नियुक्ति के लिए अस्पष्ट आवेदन नहीं दे सकते… आपको यह स्पष्ट करना चाहिए कि आप सीपीसी के आदेश 26 नियम 9 के तहत आवेदन में स्थानीय आयुक्त से क्या चाहते हैं।’’ पीठ ने कहा कि इसका उद्देश्य बहुत स्पष्ट होना चाहिए और आप सब कुछ अदालत पर नहीं छोड़ सकते।

सुनवाई की शुरुआत में, मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से पेश वकील तसनीम अहमदी ने कहा कि प्रार्थना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा वर्जित होने पर मुकदमे को खारिज करने की मांग करने वाले एक आवेदन पर उच्च न्यायालय आदेश पारित नहीं कर सकता था। अहमदी ने कहा कि सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत मुकदमे की पोषणीयता से संबंधित दूसरा प्रश्न भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। अहमदी की दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने उच्च न्यायालय के समक्ष अदालत आयुक्त की नियुक्ति के लिए आवेदन दायर करने के तरीके पर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि इस मामले में विचार के लिए कुछ कानूनी मुद्दे उठते हैं।

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