नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-10/01/2024, बुधवार
चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष,
पौष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- चतुर्दशी 20:10:19 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र————- मूल 19:39:06
योग————– ध्रुव 21:16:21
करण——- विष्टि भद्र 09:21:39
करण———– शकुनी 20:10:19
करण——— चतुष्पद 30:51:28
वार———————— बुधवार
माह————————– पौष
चन्द्र राशि——————– धनु
सूर्य राशि——————— धनु
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ——————पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:12:28
सूर्यास्त—————- 17:40:42
दिन काल————- 10:28:14
रात्री काल————- 13:31:47
चंद्रास्त—————- 16:21:29
चंद्रोदय—————- 31:07:27
लग्न—- धनु 25°6′ , 265°6′
सूर्य नक्षत्र————— पूर्वाषाढा
चन्द्र नक्षत्र——————— मूल
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
यो—- मूल 08:29:05
भा—- मूल 14:05:07
भी—- मूल 19:39:06
भू—- पूर्वाषाढा 25:11:13
धा—- पूर्वाषाढा 30:41:37
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= धनु 25:30, पूo षाo 4 ढा
चन्द्र=धनु 05:30 , ज्येष्ठा 2 यो
बुध =धनु 01:53′ मूल 1 ये
शु क्र=वृश्चिक 19°05, ज्येष्ठा ‘ 1 नो
मंगल=धनु 09 °30 ‘ मूल ‘ 3 भा
गुरु=मेष 11°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 09°40 ‘ शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मीन 26°15 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 26°15 चित्रा , 1 पे
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 12:27 – 13:45 अशुभ
यम घंटा 08:31 – 09:50 अशुभ
गुली काल 11:08 – 12: 27अशुभ
अभिजित 12:06 – 12:48 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:06 – 12:48 अशुभ
वर्ज्यम 18:10 – 19:39 अशुभ
🚩गंड मूल 07:12 – 19:39 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 07:12 – 08:31 शुभ
अमृत 08:31 – 09:50 शुभ
काल 09:50 – 11:08 अशुभ
शुभ 11:08 – 12:27 शुभ
रोग 12:27 – 13:45 अशुभ
उद्वेग 13:45 – 15:04 अशुभ
चर 15:04 – 16:22 शुभ
लाभ 16:22 – 17:41 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 17:41 – 19:22 अशुभ
शुभ 19:22 – 21:04 शुभ
अमृत 21:04 – 22:45 शुभ
चर 22:45 – 24:27* शुभ
रोग 24:27* – 26:08* अशुभ
काल 26:08* – 27:50* अशुभ
लाभ 27:50* – 29:31* शुभ
उद्वेग 29:31* – 31:13* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 07:12 – 08:05
चन्द्र 08:05 – 08:57
शनि 08:57 – 09:50
बृहस्पति 09:50 – 10:42
मंगल 10:42 – 11:34
सूर्य 11:34 – 12:27
शुक्र 12:27 – 13:19
बुध 13:19 – 14:11
चन्द्र 14:11 – 15:04
शनि 15:04 – 15:56
बृहस्पति 15:56 – 16:48
मंगल 16:48 – 17:41
🚩होरा, रात
सूर्य 17:41 – 18:48
शुक्र 18:48 – 19:56
बुध 19:56 – 21:04
चन्द्र 21:04 – 22:11
शनि 22:11 – 23:19
बृहस्पति 23:19 – 24:27
मंगल 24:27* – 25:34
सूर्य 25:34* – 26:42
शुक्र 26:42* – 27:50
बुध 27:50* – 28:57
चन्द्र 28:57* – 30:05
शनि 30:05* – 31:13
,🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
धनु > 04:24 से 06:34 तक
मकर > 06:34 से 08:30 तक
कुम्भ > 08:30 से 09:48 तक
मीन > 09:48 से 11:18 तक
मेष > 11:18 से 13:00 तक
वृषभ > 13:00 से 14:58 तक
मिथुन > 14:58 से 17:10 तक
कर्क > 17:10 से 19:30 तक
सिंह > 19:30 से 21:42 तक
कन्या > 21:42 से 23:56 तक
तुला > 23:56 से 02:02 तक
वृश्चिक > 02:02 से 04:20 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 14 + 4 + 1 = 34 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
29 + 29 + 5 = 63 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 09:15 तक समाप्त
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