नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-23/11/2023, गुरुवार
एकादशी, शुक्ल पक्ष,
कार्तिक
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि——– एकादशी 21:01:24 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र—-उत्तराभाद्रपदा 17:14:57
योग————– वज्र 11:51:59
करण———– वणिज 10:01:48
करण——- विष्टि भद्र 21:01:24
वार———————– गुरूवार
माह———————– कार्तिक
चन्द्र राशि——————- मीन
सूर्य राशि—————– वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत——————-1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:47:06
सूर्यास्त—————- 17:23:40
दिन काल————–10:36:33
रात्री काल————–13:24:12
चंद्रोदय—————- 14:42:14
चंद्रास्त—————- 27:24:20
लग्न—- वृश्चिक 6°17′ , 216°17′
सूर्य नक्षत्र—————- अनुराधा
चन्द्र नक्षत्र——— उत्तरा भाद्रपदा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
झ—- उत्तरभाद्रपदा 11:34:49
ञ—- उत्तरभाद्रपदा 17:14:57
दे—- रेवती 22:55:28
दो—- रेवती 28:36:24
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 06:30, अनुराधा 1 ना
चन्द्र= मीन 10:30 , उ o भा o 2 3 झ
बुध =वृश्चिक 24°:53′ ज्येष्ठा 3 यी
शु क्र=कन्या 22°05, हस्त’ 4 ठ
मंगल=वृश्चिक 04°30 ‘ अनुराधा’ 1 ना
गुरु=मेष 13°30 ‘ भरणी , 1 ली
शनि=कुम्भ 06°50 ‘ शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मीन 28°50 रेवती , 4 ची
केतु=(व) कन्या 28°50 चित्रा , 2 पो
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩
राहू काल 13:25 – 14:45 अशुभ
यम घंटा 06:47 – 08:07 अशुभ
गुली काल 09:26 – 10: 46अशुभ
अभिजित 11:44 – 12:27 शुभ
दूर मुहूर्त 10:19 – 11:02 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:34 – 15:16 अशुभ
वर्ज्यम 28:36* – 30:07* अशुभ
💮गंड मूल 17:15 – अहोरात्र अशुभ
🚩पंचक अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
शुभ 06:47 – 08:07 शुभ
रोग 08:07 – 09:26 अशुभ
उद्वेग 09:26 – 10:46 अशुभ
चर 10:46 – 12:05 शुभ
लाभ 12:05 – 13:25 शुभ
अमृत 13:25 – 14:45 शुभ
काल 14:45 – 16:04 अशुभ
शुभ 16:04 – 17:24 शुभ
🚩चोघडिया, रात
अमृत 17:24 – 19:04 शुभ
चर 19:04 – 20:45 शुभ
रोग 20:45 – 22:25 अशुभ
काल 22:25 – 24:06* अशुभ
लाभ 24:06* – 25:46* शुभ
उद्वेग 25:46* – 27:27* अशुभ
शुभ 27:27* – 29:07* शुभ
अमृत 29:07* – 30:48* शुभ
💮होरा, दिन
बृहस्पति 06:47 – 07:40
मंगल 07:40 – 08:33
सूर्य 08:33 – 09:26
शुक्र 09:26 – 10:19
बुध 10:19 – 11:12
चन्द्र 11:12 – 12:05
शनि 12:05 – 12:58
बृहस्पति 12:58 – 13:51
मंगल 13:51 – 14:45
सूर्य 14:45 – 15:38
शुक्र 15:38 – 16:31
बुध 16:31 – 17:24
🚩होरा, रात
चन्द्र 17:24 – 18:31
शनि 18:31 – 19:38
बृहस्पति 19:38 – 20:45
मंगल 20:45 – 21:52
सूर्य 21:52 – 22:59
शुक्र 22:59 – 24:06
बुध 24:06* – 25:13
चन्द्र 25:13* – 26:20
शनि 26:20* – 27:27
बृहस्पति 27:27* – 28:34
मंगल 28:34* – 29:41
सूर्य 29:41* – 30:48
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
वृश्चिक > 05:16 से 07:50 तक
धनु > 07:50 से 08:16 तक
मकर > 08:16 से 11:24 तक
कुम्भ > 11:24 से 12:56 तक
मीन > 12:56 से 14:18 तक
मेष > 14:18 से 16:06 तक
वृषभ > 16:06 से 18:04 तक
मिथुन > 18:04 से 20:12 तक
कर्क > 20:12 से 22:28 तक
सिंह > 22:28 से 00:30 तक
कन्या > 00: 30 से 04:00 तक
तुला > 03:00 से 05:16 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
11 + 5 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
11 + 11 + 5 = 27 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 10:03 से रात्रि 21:03
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
*देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत (सर्वेषां)
*देवोत्थान एकादशी (देव उठनी)
* तुलसी सालिग्राम विवाहोत्सव
* भीष्म पंचक प्रारम्भ
* सर्वार्थ सिद्धि योग 15:15 से
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
सत्कुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजतेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत् ।।
।। चा o नी o।।
लड़की का बयाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए. पुत्र को अचछी शिक्षा देनी चाहिए, शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, एवं मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: सांख्ययोग अo-02
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम् ।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ॥,
जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी द्वारा मारा जाता है॥,19॥,
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