मणिपुर में नहीं बुझ रही हिंसा की आग

राष्ट्रीय जजमेंट

मणिपुर में हिंसा की आग बुझने का नाम ही नहीं ले रही और राज्य में लगातार हमले की घटनाएं हो रही है। राज्य के कांगपोकपी जिले में अज्ञात हथियारबंद लोगों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के एक जवान और एक नागरिक की मौत हो गई। पीड़ितों की पहचान लीमाखोंग मिशन वेंग गांव के हेनमिनलेन वैफेई (आईआरबी) और इंफाल पश्चिम जिले के हुनखो कुकी गांव के थांगमिनलुन हैंगिंग के रूप में की गई है। गौरतलब है कि यह हमला हरओथेल और कोबशा गांवों के बीच हुआ, जहां आईआरबी कर्मियों और उनके ड्राइवर को ले जा रही एक मारुति जिप्सी पर गोलीबारी हुई, जिसके परिणामस्वरूप मौतें हुईं। हमले के दौरान हेन्मिनलेन वैफेई और थांगमिनलुन हैंगिंग दोनों की चोटों के कारण मौत हो गई। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमले के बाद इलाके में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है और घटना में शामिल आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तलाश जारी है। इस बीच, एक आदिवासी संगठन ने दावा किया कि कुकी-जो समुदाय को बिना उकसावे के निशाना बनाया गया। कांगपोकपी में स्थित आदिवासी एकता समिति (सीओटीयू) ने कांगपोकपी में आपातकालीन बंद की घोषणा की है और स्थानीय लोगों से सामान्य गतिविधियों को निलंबित करने का आग्रह किया है। सीओटीयू ने एक बैठक में मांग रखी कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन की व्यवस्था करे। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में मणिपुर के पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित होने के बाद मई से पूर्वोत्तर राज्य हिंसा की चपेट में है। 3 मई को दो आदिवासी समूहों, कुकी और मेइतीस के बीच जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से लगभग 200 लोग मारे गए हैं।

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