गुजरात/अहमदाबाद। सरकार ने विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास के इलाके से 300 से ज्यादा मगरमच्छों को दूसरी जगह भेजा जा रहा है। वन अधिकारियों के मुताबिक, पर्यटकों के लिए सी-प्लेन सेवा शुरू करने से पहले सुरक्षा के लिहाज से यह फैसला किया गया। 182 मीटर ऊंची वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
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वन अधिकारी अनुराधा साहू के मुताबिक, तीन मीटर से ज्यादा लंबाई के मगरमच्छों को शिफ्ट किया जा रहा है। इन्हें पिंजरों में बंद करके ट्रक के जरिए गुजरात की ही दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा।
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अब तक करीब एक दर्जन से ज्यादा मगरमच्छों को डाइक नंबर तीन से निकालकर शिफ्ट कर दिया गया है। निकाले गए मगरमच्छों को प्रतिमा स्थल के आसपास से पकड़ा गया।
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वन्यजीव प्रेमियों ने की आलोचना
वन्यजीव पत्रिका के संपादक बिट्टू सहगल ने ट्वीट कर सरकार और स्थानीय प्रशासन के इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने लिखा, “क्या हमने सामूहिक रूप से अपना दिमाग खो दिया है?
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वाइल्डलाइफ बोर्ड के सदस्य प्रियाव्रत गढ़वी ने कहा कि मगरमच्छों को दूसरी जगह ले जाने के फैसले से पहले प्रशासन को वैज्ञानिक विश्लेषण कर लेना चाहिए था।
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अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी ऊंची है पटेल की प्रतिमा
सरदार वल्लभभाई पटेल की यह प्रतिमा नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के करीब स्थापित है। यह वडोदरा से करीब 100 किमी और गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से करीब 200 किमी की दूरी पर स्थित है।
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31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की जयंती के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन किया था। इसके निर्माण में 3 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए। यह ऊंचाई में अमेरिका के ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दोगुनी है।
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प्रतिमा तक पहुंचने के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की गई है। स्टैच्यू में दो लिफ्ट भी लगी हैं। इनके जरिए प्रतिमा के सीने पर पहुंचकर सरदार सरोवर बांध का नजारा भी देखा जा सकता है।
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भूकंप रोधी है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
सरदार पटेल की यह प्रतिमा भूकंप रोधी बनाई गई है। यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को सहने के साथ 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं का भी सामना कर सकती है। इस लौह पुरुष की प्रतिमा के निर्माण में लाखों टन लोहा और तांबा लगा है। इसे भारतीय मजदूरों के साथ मिलकर चीन के 200 कर्मचारियों ने बनाया है।