मप्र में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से 2.4% ज्यादा, हो गई दोगुनी
भोपाल। एक ओर प्रदेश सरकार आम चुनाव से पहले प्रदेश में बेरोजगारी दूर करने के लिए उद्योगों को रोजगार और निवेश अनुदान के साथ-साथ विवेकानंद युवा शक्ति निर्माण मिशन शुरू करने पर विचार कर रही है, वहीं दूसरी ओर बीते दो साल में प्रदेश में बेरोजगारी दर में दोगुना से ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है।
सेंटर फाॅर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनामी (सीएमआईई) की दिसंबर 2018 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में प्रदेश में बेरोजगारी दर 4.1% थी, जो दिसंबर 2018 में बढ़कर 9.8% जा पहुंची है। मौजूदा वक्त में प्रदेश में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से भी लगभग 2.4% अधिक है।
सीएमआईई के मुताबिक दिसंबर 2018 में देश में औसत बेरोजगारी दर 7.4% रही है। रोजगार दिला पाने में पिछली सरकार की नाकामी के कारण मप्र देश के उन छह राज्यों में शामिल हो गया है, जहां बेरोजगारी दर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।
बेरोजगारी दर बढ़ने का एक कारण नोटबंदी को भी माना जा रहा है। नोटबंदी के दौरान तो रोजगार में कमी नहीं आई, लेकिन इसके छह माह बाद बेरोजगारी दर बढ़ती चली गई। वहीं नोटबंदी के बावजूद पिछले 3 साल में आंध्रप्रदेश, केरल और उप्र जैसे राज्यों ने अपनी स्थिति में 7 से 13% तक सुधार किया है।
रोजगार दे पाने में ये 6 राज्य सबसे पिछड़े
राज्य |
बेरोजगारी दर 2016 |
बेरोजगारी दर 2018 |
असम |
5.9 |
11.5 |
छत्तीसगढ़ |
2.5 |
22.2 |
पंजाब |
8.4 |
15.4 |
त्रिपुरा |
19.2 |
28.8 (सितं.-17) |
राजस्थान |
6.8 |
15.0 |
मध्यप्रदेश |
4.1 |
9.8 |
हिमाचल |
3.2 |
18.8 |
हरियाणा |
15.0 |
24.4 |