मिशन 2019: गठबंधन का रास्ता बंद होते देख यूपी में अकेले चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

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लखनऊ। सपा-बसपा से गठबंधन का रास्ता लगभग बंद होते देख कांग्रेस ने भी अकेले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है।
सूबे की सियासत में बदली रणनीति के तहत कांग्रेस ने उन सीटों की पहचान तेज कर दी है जहां पार्टी चुनावी टक्कर देने में सक्षम है। उत्तरप्रदेश की जमीनी सियासत का आकलन करा रही कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि
पार्टी की बेहतर संभावना वाली कम से कम 40 लोकसभा सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर विचार किया जा रहा है। हालांकि चुनाव लड़ने वाली सीटों की संख्या पर कांग्रेस अंतिम फैसला सपा-बसपा के बीच गठबंधन के औपचारिक ऐलान के बाद ही करेगी।
सपा-बसपा में लोकसभा सीट बंटवारे पर बनी सहमति में कांग्रेस के लिए गुंजाइश नहीं होने की खबरों से पार्टी रणनीतिकार हतप्रभ नहीं हैं।
इसीलिए इसके शुरुआती संकेत मिलते ही कांग्रेस नेतृत्व ने सूबे में पार्टी की बेहतर संभावना वाली लोकसभा सीटों की पहचान के साथ संभावित उम्मीदवारों को लेकर जमीनी फीडबैक हासिल करना शुरू कर दिया था।
सूत्रों के अनुसार इसी मकसद से चुनावी विशेषज्ञता वाली दो एजेंसियों से भी जमीनी सर्वे कराया गया है। इस दोहरे फीडबैक के आधार पर ही कम से कम 40 ऐसी सीटों की पहचान की गई है।
जहां कांग्रेस त्रिकोणीय मुकाबले में बराबरी की टक्कर दे सकती है। हालांकि इन सीटों पर भी उम्मीदवार की सियासी हैसियत और सामाजिक समीकरण को अहम बिंदु मानते हुए उम्मीदवारी पर फैसला लेना होगा।
सपा-बसपा के बीच गठबंधन के साथ सीटों पर सहमति बनने की खबरों के बाद कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी का स्पष्ट संकेत पार्टी नेता पीएल पुनिया ने भी दिया।
छत्तीसगढ में पार्टी के मुख्य चुनावी रणनीतिकारों में रहे पुनिया ने कहा कि हमारे कार्यकर्ता तैयार हैं। कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। हालांकि उनका यह भी कहना था कि
सूबे में गठबंधन को लेकर पार्टी की किसी से बात नहीं हुई है। वैसे भी सपा-बसपा और रालोद के बीच गठबंधन के बाद कांग्रेस के पास अकेले चुनाव लड़ने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं होगा।
पार्टी सूत्रों से मिले संकेतों के अनुसार भले ही सपा और बसपा से गठबंधन न हो मगर भाजपा के खिलाफ सियासी जंग में विपक्षी खेमे का नुकसान न हो उसके लिए यह भी अहम है।
इसीलिए कांग्रेस सभी 80 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारना चाहती। ताकि विपक्षी मतों के बंटवारे का सीधा लाभ भाजपा को न मिल जाए।
कांग्रेस की योजना अपनी परंपरागत मजबूत सीटों के साथ उन सीटों पर ही चुनाव लड़ने की है जहां त्रिकोणीय मुकाबले होंगे। इनमें से कुछ ऐसी सीटों पर पार्टी को जीत की उम्मीद है।

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