कितना शोभा देता है एक पुलिस अधिकारी का एक ऐसा बयान देना जिससे दो समुदायों के बीच दंगा और भड़क जाए क्या किसी पुलिस अधिकारी को यह अधिकार दिए गए हैं कि किसी का घर बुलडोजर से गिरा दे थानाध्यक्ष बल्दीराय अमरेंद्र सिंह को यह अधिकार किसने दिया है थाना अध्यक्ष होते हुए किसी भी मंच पर खड़ा होकर किसी एक धर्म विशेष के साथ किसी को मिट्टी में मिला देना घर पर बुलडोजर चला देना क्या यह भाषा किसी थाना अध्यक्ष की हो सकती है
वह तब जब दो समुदाय आपस में लड़ रहे हैं सांप्रदायिक दंगे भड़कने की आशंका हो भाईचारा बिगड़ सकता हो ऐसी परिस्थिति में थाना अध्यक्ष बल्दीराय अमरेंद्र सिंह हाथ में माइक लेकर यह कहना उपद्रव करने वाले तुम्हें मिट्टी में मिला दूंगा तुम्हारे घर पर बुलडोजर चला दूंगा अगर ऐसे पुलिस अधिकारी थाना अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेगा निश्चित है दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक दंगा हो सक्ता है
अमरेंद्र बहादुर एक पुलिस अधिकारी की भाषा नहीं बोल रहे थे बल्कि एक पार्टी विषेस की भाषा बोल रहे थे पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर सोमेन वर्मा जैसे काबिल अधिकारी को क्या यह दिखाई नहीं दे रहा कि थाना बल्दीराय के थाना अध्यक्ष सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन की मदद नहीं कर रहे बल्कि सांप्रदायिक दंगों को भड़काने के लिए आग में घी का काम कर रहे हैं पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी को यह मामला संज्ञान में लेकर ऐसे अधिकारियों को जितनी जल्दी हो संवेदनशील क्षेत्रों से हटाकर प्रशासनिक जिम्मेदारी को निभाएं नहीं तो ऐसे अधिकारी समाज का सामाजिक माहौल आपसी भाईचारा बिगाड़ने में देर नहीं करेंगे
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