कुंभ पर्व: प्रयागराज में 14 जनवरी से शुरू हो रहा है अर्धकुंभ
प्रयागराज। भारत देश मे धार्मिक-आध्यात्मिक आयोजन बहुत ही भव्य व आस्था के साथ मनाए जाते हैं। कुंभ मेला भी इन्ही आयोजनों में से एक है इसमें मिल होने के लिए देश-विदेश से कई लोग आते हैं।
इस बार 2019 में कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है। प्रयागराज में अर्धकुंभ 14 जनवरी 2019 से प्रारंभ हो जाएगा और 04 मार्च 2019 तक चलेगा। देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले कुंभ की परंपरा बहुत पुरानी परंपरा है।
-
4 जगहों पर लगता है कुंभ
शास्त्रों के अनुसार चार विशेष स्थान है, जिन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। नासिक में गोदावरी नदी के तट पर, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर, हरिद्वार और प्रयाग में गंगा नदी के तट पर।
सबसे बड़ा मेला कुंभ 12 वर्षो के अन्तराल में लगता है और 6 वर्षो के अन्तराल में अर्द्ध कुंभ के नाम से मेले का आयोजन होता है। वर्ष 2019 में आयोजित होने वाले प्रयाग में अर्द्ध कुंभ मेले का आयोजन होने वाला है।
इसके बाद साल 2022 में हरिद्वार में कुंभ मेला होगा और साल 2025 में फिर से इलाहाबाद में कुंभ का आयोजन होगा और साल 2027 में नासिक में कुंभ मेला लगेगा।
शास्त्रों के अनुसार चार विशेष स्थान है, जिन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। नासिक में गोदावरी नदी के तट पर, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर, हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर और प्रयाग में तट पर।
-
कब से हो रहा है मेले का आयोजन
कुंभ मेले का आयोजन वैसे तो हजारों साल पहले से हो रहा है। लेकिन मेले का प्रथम लिखित प्रमाण महान बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग के लेख से मिलता है जिसमें छठवीं शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के शासन में होने वाले कुंभ का प्रसंगवश वर्णन किया गया है।
-
प्रत्येक तीन वर्ष में आता है कुंभ
नासिक,उज्जैन, हरिद्वार और प्रयाग इन जगहों पर हर 3 साल के अंतराम में कुंभ का आयोजन होता है, इसीलिए किसी एक स्थान पर प्रत्येक 12 वर्ष बाद ही कुंभ का आयोजन होता है।
-
अर्धकुंभ क्या है?
अर्ध का अर्थ है आधा। हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ का आयोजन होता है। पौराणिक ग्रंथों में भी कुंभ एवं अर्ध कुंभ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण उपलब्ध है।
कुंभ पर्व हर 3 साल के अंतराल पर हरिद्वार से शुरू होता है। हरिद्वार के बाद प्रयाग, नासिक और उज्जैन में मनाया जाता है। प्रयाग और हरिद्वार में मनाए जानें वाले कुंभ पर्व में एवं प्रयाग और नासिक में मनाए जाने वाले कुंभ पर्व के बीच में 3 सालों का अंतर होता है।
-
उज्जैन के कुंभ को कहते हैं सिंहस्थ
सिंहस्थ का संबंध सिंह राशि से है। सिंह राशि में बृहस्पति एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर उज्जैन में कुंभ लगता है। इसके अलावा सिंह राशि में बृहस्पति के प्रवेश होने पर कुंभ पर्व का आयोजन गोदावरी के तट पर नासिक में होता है। इसे महाकुंभ भी कहते हैं, क्योंकि यह योग 12 साल में बनता है।
