सेंट्रल जेल में बंदियों को गांजा पहुंचा रहा था जेल प्रहरी, 10 पुड़िया के गांजे साथ दबोचा गया, निलंबित…

जबलपुर, राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़। नेताजी सुभाष चंद बोस केंद्रीय जेल जबलपुर में जेल प्रहरी ही गांजा तस्कर कर रहा था। प्रहरी एक-एक हजार रुपए में गांजे की पुड़िया बंदियों को बेचता था। कल रात चेकिंग के दौरान जेल के दूसरे स्टाफ ने प्रहरी को आरोपी 10 पुड़िया गांजे के साथ दबोच लिया| इस बात की जानकारी लगते ही वरिष्ठ अधिकारियों ने जेल प्रहरी को निलंबित कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक सेना की नौकरी से रिटायर होने के बाद जेल प्रहरी बने राजेंद्र राठौर की ड्यूटी वर्तमान में जबलपुर सेंट्रल जेल में है। पिछले तीन साल से वह शासकीय आवास में रहते हुए ड्यूटी कर रहा है। राजेंद्र की सोमवार रात दो से सुबह छह बजे तक ड्यूटी थी। वह कुछ देरी से ड्यूटी पर पहुंचा।
गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मियों ने संदेह के आधार पर राजेंद्र की तलाशी ली। इस दौरान उसके पास से गांजे की 10 पुड़िया मिली। पूछताछ में बताया कि वह एक हजार रुपए में बंदियों को गांजे की पुड़िया बेच रहा था। वह लंबे समय से ऐसा कर रहा था।

तलाशी से बचने के लिए देरी से पहुंचा-जेल अधिकारियों ने निर्देश दिया है कि प्रहरी 10-15 मिनट पहले ड्यूटी पर उपस्थित हो जाएं। ऐसा इसलिए, ताकि ड्यूटी वाले प्रहरियों की तलाशी हो सके। पर सोमवार रात राजेंद्र राठौर 15 मिनट देरी से पहुंचा था। देरी की वजह से वह तलाशी से बचना चाहता था।गांजा छुपाने के लिए राजेंद्र ने अपनी वर्दी के पैंट में अलग से जगह बनवाई थी। इसमें वह गांजा की पुड़ियां छुपाकर ऊपर से बेल्ट पहन लेता था। सामान्य तौर पर जेब की तलाशी ली जाती है। बेल्ट के नीचे गांजे की पुडि़या दबी होने के कारण वह जवानों की नजर से अब तक बचता रहा।

पहले भी पकड़े जा चुके हैं दो प्रहरी-जेल के बंदियों तक गांजा सहित अन्य नशे का सामान पहले भी पहुंचाया जाता रहा है। इससे पहले दो जेल प्रहरी पकड़े जा चुके हैं। जेल प्रशासन ने दोनों प्रहरियों के खिलाफ पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। पर राजेंद्र राठौर के खिलाफ जेल प्रशासन ने पुलिस को सूचना नहीं दी है। उसके गांजा के साथ पकड़े जाने पर जेल अधीक्षक ने निलंबित कर दिया।
विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। बताते हैं कि विभागीय जांच के बाद जेल प्रशासन पुलिस को बता सकती है। हालांकि नियम के अनुसार जेल प्रशासन को उसे सिविल लाइंस पुलिस के हवाले करना था।

मध्य प्रदेश जबलपुर से सुनील केवट की रिपोर्ट

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