समलैंगिकों को ‘मानसिक रोगी’ बता बिजली के झटके देता था डॉक्‍टर

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मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने कहा कि यह डॉक्टर जो तरीका इस्तेमाल कर रहा है, उसका कोई ब्योरा चिकित्सा विज्ञान में या स्वीकृत तौर तरीकों में नहीं है। भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम के तहत उसे एक साल की सजा हो सकती है।
करंट लगाकर समलैंगिक लोगों के इलाज का दावा करने वाले एक चिकित्सक को एक अदालत ने नियमों के उल्लंघन के आरोप में अपने समक्ष हाजिर होने का आदेश दिया है। यह डॉक्टर दावा करता है कि समलैंगिकता एक ‘आनुवांशिक मानसिक विकृति’ है और
समलैंगिक स्त्री-पुरुषों को बिजली का झटका देकर इसे ठीक किया जा सकता है। दिल्ली चिकित्सा परिषद (डीएमसी) ने डा. पीके गुप्ता के प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी थी, लेकिन वह अब भी इस अजीबो-गरीब तरीके को अंजाम देता है।
अदालत ने यह भी कहा कि यह भी स्पष्ट हो रहा है कि गुप्ता के प्रैक्टिस पर रोक लगने के बाद भी वह बाज नहीं आ रहा। अदालत ने डीएमसी द्वारा गुप्ता के खिलाफ उस शिकायत पर भी ध्यान दिया, जिसमें दावा किया गया है कि वह उपचार प्रदान करने के लिए हार्मोनल और झटके वाली थेरेपी का उपयोग कर रहा है।
अदालत ने अपने समन में समलैंगिकता पर उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का भी जिक्र किया है जिसमें उसने दो वयस्कों के निजी रूप से आपसी सहमति से यौन संबंध बनाने को अपराध नहीं माना है।अदालत के अनुसार गुप्ता 15 मिनट की काउंसंिलग के लिए 4,500 रुपये वसूलता है और
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उसके बाद ही वह हार्मोन या मनोवैज्ञानिक तरीके से इलाज करता है। जब डीएमसी ने इस डॉक्टर को नोटिस जारी किया तो उसने कहा कि वह इस परिषद से पंजीकृत नहीं है, लिहाजा वह इसका जवाब देने के लिए जिम्मेदार नहीं है।

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