बिकरू कांड को हुआ एक साल, आज की ही रात पुलिसकर्मियों पर बरसी थी गोलियां, जानिए अब तक की पूरी कहानी

आज से ठीक एक साल पहले। 2 जुलाई 2020 की आधी रात 12:45 बजे। बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने डीएसपी और एसओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। एक-एक पुलिसकर्मी को दर्जनों गोलियां मारी थीं। पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर आठ दिन के भीतर विकास दुबे समेत छह बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। 45 आरोपी जेल में बंद हैं। केस का ट्रायल जारी है।

दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई। यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे। घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी। पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उनपर छतों सेे गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं। चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए थे।

ये जांबाज हुए थे शहीद 

डीसीपी देवेंद्र कुमार मिश्रा, एसओ महेश कुमार यादव, दरोगा अनूप कुमार सिंह, दरोगा नेबूलाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सिपाही सुलतान सिंह, सिपाही बबलू कुमार, सिपाही राहुल कुमार

तीन जुलाई की सुबह से शुरू हुए थे एनकाउंटर 

देश को हिला देने वाली वारदात के बाद तीन जुलाई की सुबह सबसे पहले पुलिस ने विकास के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। यहीं से एनकाउंटर पर एनकाउंटर शुरू हुए। इसके बाद हमीरपुर में अमर दुबे को ढेर किया। इटावा में प्रवीण दुबे मारा गया। पुलिस कस्टडी से भागने पर पनकी में प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय मिश्रा ढेर कर दिया गया।

विकास के एनकाउंटर पर उठे थे सवाल, आज भी बरकरार

विकास दुबे का नौ जुलाई की सुबह उज्जैन में नाटकीय ढंग से सरेंडर हुआ था। एसटीएफ की टीम जब उसको कानपुर लेकर आ रही थी तो सचेंडी थाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में विकास मार दिया गया था। एसटीएफ ने दावा किया था कि गाड़ी पलटने की वजह से विकास पिस्टल लूटकर भागा और गोली चलाईं। जवाबी कार्रवाई में वो ढेर हो गया। हालांकि टोल पर मीडिया को रोकना, टीयूवी का अचानक पलट जाना। पहले वो सफारी में लाया जा रहा था, अचानक गाड़ी का बदल जाने जैसे तमाम सवाल उठे थे। हालांकि पुलिस और मजिस्ट्रेटी जांच में सभी एनकाउंटर सही ठहराए गए।

इस मामले में चार महिलाओं समेत 45 आरोपी जेल में बंद हैं, तीन पर रासुका भी लगा है। मामले में केस का ट्रायल जारी है, लेकिन शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों के लिए सरकार ने जो वादे किए थे, वे अभी तक पूरे नहीं हो सके हैं। शहीद सीओ की बेटी समेत अन्य तीन पुलिसकर्मियों की पत्नियों ने नौकरी के लिए आवेदन किया था। लेकिन, इनके मामलों में अभी तक केवल प्रक्रिया ही चल रही है। शहीद सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा की बड़ी बेटी वैष्णवी ने राजपत्रित अधिकारी के पद पर आवेदन किया है।

परिजनों ने बताया कि छह महीने पहले दस्तावेज जमा कर दिए गए थे लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। वहीं, शहीद सिपाही राहुल कुमार की पत्नी दिव्या भारती, सिपाही सुलतान की पत्नी उर्मिला और दरोगा अनूप कुमार सिंह की पत्नी नीतू सिंह ने दरोगा के पद पर नौकरी के लिए आवेदन किया है। दिव्या दौड़ में टॉपर थीं। लिखित परीक्षा बाकी है। अन्य दोनों अभी फिजिकल की तैयारी कर रही हैं।

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