पंजाब से साझा ख़त्म-हरियाणा में अब बनेगा नया विधान सभा का भवन

दिल्ली में बन रहे नए संसद भवन की तर्ज पर हरियाणा में भी एक आधुनिक विधानसभा की परिकल्‍पना की गई है। यह एक ऐसी विधानसभा होगी, जिसमें आधुनिक संचार व्‍यवस्‍था के साथ वह सभी सुविधाएं होंगी

इसकी पहल की है विधानसभा अध्‍यक्ष ज्ञानचंद गुप्‍ता ने। सदन की कार्यवाही और सचिवालय के काम में आड़े आ रही जगह की कमी का यह स्थायी समाधान बताया जा रहा है। मंगलवार को दिल्‍ली में मुख्यमंत्री ने भी इस बात की तस्‍दीक की है कि वर्तमान विधानसभा भवन छोटा है और हरियाणा विधानसभा के लिए पृथक भवन के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया है।

योजना में विपक्ष को साझीदार बनाने के लिए पत्र की प्रति विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी भेजी गई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्रालय और लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा है कि राज्य के अस्तित्व में आने के करीब 55 साल बाद भी हरियाणा विधानसभा स्थानाभाव का दंश झेल रही है। पंजाब से बंटवारे के वक्त हुए समझौते के अनुसार हरियाणा को उसका पूरा हिस्सा नहीं मिल पाया है। दोनों प्रांतों का एक ही विधान भवन होने के कारण अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है।

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परिसीमन में हरियाणा में लोकसभा की 14 और विधानसभा की 126 सीटें होने का अनुमान है, लेकिन विधानसभा के सदन में 90 विधायकों के बैठने की ही व्यवस्था है। इसके अलावा एक भी विधायक के लिए स्थान बनाना यहां मुश्किल काम है। 2026 के लिए मात्र 5 वर्ष का समय शेष है, इसलिए इस दिशा में अभी से विचार कर योजना बनानी होगी। इसके अलावा विधानसभा सत्र के दौरान मंत्रियों, समिति अध्यक्षों और विधायकों के बैठने का भी पर्याप्त स्थान नहीं है। पंजाब विधानसभा के लगभग सभी मंत्रियों को सत्र के दौरान उनके कार्यालय के लिए स्वतंत्र कमरों का प्रावधान है। वहीं, हरियाणा विधानसभा में मुख्यमंत्री के अलावा किसी भी मंत्री या समितियों के अध्यक्ष के बैठने के लिए व्यवस्था नहीं है। इस कारण से समितियों की बैठकें सुचारू रूप से नहीं चल पा रही हैं।।

राज्य और केंद्र सरकार के साथ लोकसभा स्पीकर को लिखे पत्र में विधानसभा अध्यक्ष ने वर्तमान दौर में मीडिया के बदलते स्वरूप और आवश्यकताओं के अनुसार आधुनिक सुविधाओं से लैस व्यवस्था विकसित करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि जब हरियाणा प्रदेश और इसकी विधानसभा का गठन हुआ था तब मीडिया का स्वरूप इतना बड़ा नहीं था। इसलिए प्रेस गैलरी समेत अनेक व्यवस्था उस समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकसित की गई थीं।

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