सिविल हॉस्पिटल में दो ही दिन में म्युकरमाइकोसिस के 86 मामले, इंजेक्शन की कमी से लोगों में दहशत

आर जे न्यूज़-

अहमदाबाद गुजरात। अहमदाबाद के सिविल हास्पिटल में दो ही दिन में म्युकरमाइकोसिस रोग के 86 मामले आए हैं। इंजेक्शन और दवा न मिलने से सिविल अस्पताल में मरीजों की संख्या बढी है। म्युकरमाइकोसिस के उपचार में उपयोग होने वाले एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन जो पहले 1700 रुपये में मिलता था, उसे लोग सात हजार रुपये में बेंच रहे हैं। कोरोना संक्रमण की तरह यह भी रोग लोगों के लिए घातक बनता जा रहा है। यह रोग एक प्रकार के फंगस से होता है, इस का प्रभाव मस्तिष्क तक पहुँचने का दो मामला सुरत में दर्ज किया गया है।

सिविल हास्पिटल के सुप्रिन्टेन्डेंट डॉक्टर जे बी मोदी के अनुसार अहमदाबाद के सिविल हास्पिटल में म्युकरमाइकोसिस के 191 मरीज उपचाराधीन है जिनमे 50 मरीज अहमदाबाद के और शेष मरीज राज्य के विविध शहरों से आए हैं। अब तक अस्पताल में चार वार्ड कार्यरत थे मरीजों की संख्या को देख कर पाँचवा वार्ड भी चालू करने की कोशिश जारी है।

पूरे गुजरात में म्युकरमाइकेसिस के मामले बढ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस बीमारी के इलाज में उपयोग होने वाले इंजेक्शन की कमी से मरीजों के उपचार में परेशानी होती है इसी कारण अहमदाबाद सिविल हास्पिटल के अलावा राजकोट, भावनगर ,जामनगर, सुरत, और गांधीनगर के सिविल हास्पिटल में ग्रामीण अंचल से मरीज उपचार के लिए आ रहे हैं। सुरत में 75,राजकोट में 200 और गांधीनगर में के सिविल हास्पिटल में 22 म्युकरमाइकोसिस के मरीज अपना इलाज करा रहें हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार म्युकरमाइकोसिस का प्रसार मस्तिष्क तक पहुंचना अत्यधिक घातक होता है। सुरत में ऐसे दो मामले दर्ज हुए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार म्युकरमाइकोसिस के मरीजों को ठीक करने के लिए जो एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन 150 से 1ं80 डोज दिया जाता है। इसमें सावधानी न रखने पर किडनी को भारी नुकसान पहुंचता। एम्फेटेरिसिन बी इंजेक्शन तैयार करने की प्रक्रिया लंबी है। एक बैच तैयार करने में डेढ महीने का समय लगता है।

वर्तमान परिदृश्य में जिस प्रकार मरीजों की संख्या बढ रही है। लोगों के मन में भय का माहौल है कि कहीं रेमडेसिविर की तरह इसके लिए भी भटकना न पड़े। म्युकरमाइकोसिल रुधिर धमकियों से शरीर के विविध भागों में फैलता है। शुरुआत साइनस और ऑख से होती। कई मामलों में प्राथमिक चरण में इसका लक्षण मालूम नहीं पड़ता और हृदय तक पहुँच कर धमनियों को अवरुद्ध कर देता जिससे हृदय की गति रुक जाती है। राजकोट के सिविल हास्पिटल में रोज पांच आपरेशन किया जाता है। 200 मरीजों में से ज्यादा तर मरीजों को गंभीर आपरेशन की जरुरत है।

म्युकरमाइकेसिस का प्रभाव ज्यादा तर उन लोगों पर पड़ता जो कोरोना संक्रमण से ठीक हुए है लेकिन उनका डायबिटीज नियंत्रण में नहीं है। कैंसर की बीमारी हो, किडनी या लीवर का ट्रान्सप्लान्टेशन हुआ और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो। कोरोना संक्रमण के जो मरीज ज़्यादा समय आईसीयू में रहे हो, स्टेरोइड का इंजेक्शन लिया हो उनमें इसकी संभावना अधिक होती।

म्युकरमाइकेसिस के शुरूआती लक्षण में आंख, नाक, सिर में दर्द होता, कफ खासी के साथ सांस लेने में तकलीफ होती, खून की उल्टी होती और नाक से बदबूदार काले रंग का द्रव निकलता है। इससे बचने के लिए समय समय पर सुगर की जांच करा कर ब्लड सुगर को नियंत्रण में रखना चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर ही एन्टिबायोटिक्स या स्टोरोइड का उपयोग करना चाहिए। आक्सीजन थेरेपी में साधनों का स्वच्छ होना आवश्यक है।

ओमप्रकाश यादव की रिपोर्ट

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