लॉकडाउन के भय से परप्रान्तीय मजदूरों का पलायन शुरु, टेक्सटाइल, केमिकल और कंस्ट्रक्शन उद्योग प्रभावित

आर जे न्यूज़-

अहमदाबाद गुजरात। जिस प्रकार दिन प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ रही है, इसे देख कर लोगों में डर का माहौल है कि यदि गत वर्ष की तरह इस साल भी लॉकडाउन लग गया तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए गुजरात से अन्य प्रान्त के श्रमिकों का पलायन शुरु हो गया है। यदि इसी प्रकार पलायन की प्रक्रिया चलती रही तो इसका खामियाजा सबसे अधिक टेक्सटाइल, केमिकल और कन्स्ट्रक्शन उद्योग को भुगतना पड़ेगा। अहमदाबाद के कुछ जीआईडीसी क्षेत्रों में मजदूरों को रहने खाने की सुविधा देने का आश्वासन देकर श्रमिकों को रोकने का प्रयास किया जा रहा।

उल्लेखनीय है, दिन प्रतिदिन कोरोना संक्रमण के बढते मामलों को देखकर लॉकडाउन की चर्चा भी बहस का मुद्दा बना हुआ है। यह मजदूरों के पलायन का कारण है। होली के त्योहार पर बहुत से श्रमिक अपने मादरे वतन गए थे जो लॉकडाउन के भय से वापस नहीं लौटे। दूसरी ओर अन्य मजदूरों का गुजरात से पलायन करना औद्योगिक क्षेत्र के लिए चिन्ता का विषय है। मजदूरों की कमी से उद्योगों के कार्य बंद होने के कगार पर है। अहमदाबाद के नरोड़ा, वटवा, ओढव, और कटवाडा सहित अन्य जीआईडीसी के अग्रणियों ने मजदूरों को रहने खाने का आश्वासन देकर उन्हें रोकने का प्रयास किया है जिसमें उन्हें सफ़लता भी मिली है।

किन्तु लॉकडाउन लगने और परप्रान्तीय श्रमिकों के पलायन होने से सबसे अधिक नुकसान टेक्सटाइल, केमिकल, कन्स्ट्रक्शन, स्टिल -प्लास्टिक के कारखाने, सीमेंट और फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। इनमें काम करने वाले 70 से 80 प्रतिशत श्रमिक दूसरे राज्यों के होते हैं। टेक्सटाइल उद्योग के पूर्व अध्यक्ष के अनुसार पिछले लॉकडाउन के समय यह उद्योग सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। वर्तमान परिदृश्य में मजदूरों के हिजरत से 50 प्रतिशत उत्पादन घट गया है। यदि इस वर्ष पुनः लॉकडाउन हुआ तो बहुत से कारखाने हमेशा के लिए बंद हो जाएंगें।

केमिकल एसोशिएसन के उपाध्यक्ष हरमित पटवा के अनुसार केमिल उद्योगों में सबसे अधिक मजदूर दूसरे राज्य के होते हैं। भय के कारण मजदूरों के साथ ठेकेदार भी चले गए हैं। इसी कारण मजदूरों की कमी है। अधिक मजदूरी देकर काम कराना पड़ता है जिससे उद्योगों को आर्थिक नुकसान होता है।
गुजरात में कोरोना संक्रमण का दैनिक आकड़ा पांच हज़ार से अधिक हो गया है। जिसमें संक्रमण के मामले में अहमदाबाद की संख्या सबसे अधिक और मरने वालों की संख्या सुरत में सबसे अधिक है।

शायद यही कारण है कि कन्स्ट्रक्शन उद्योग से जुड़े जो श्रमिक होली की छुट्टियाँ मनाने अपने गांव गए थे, वे लॉकडाउन की भय से वापस नहीं आ रहे हैं। जिससे अनेक निर्माण कार्य रुका हुआ है। एक ओर दिन प्रतिदिन सीमेंट और स्टील की मूल्य में वृद्धि और दूसरी ओर मजदूरों की कमी का दोहरा मार इस उद्योग को झेलना पड़ रहा है। गुजरात में भवन निर्माण कार्य से जुड़े पांच हजार ठेकेदार हैं, जो ज्यादातर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के हैं। मजदूर भी इन्हीं के माध्यम से उपलब्ध होते हैं।इनके पलायन से यह कार्य ठप होने के कगार पर है।

ओमप्रकाश यादव की रिपोर्ट 

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