दिल्ली में रहकर भी पहाड़ी संस्कृति और नृत्य को बढ़ावा देते अनिल वर्मा

आर जे न्यूज़-

अक्सर लोग आजीविका के कारण अपने गाँव से दूर जाते है। जिनके कारण स्थानीय संस्कृति को धीरे धीरे भूलने लगते है। आज हमारी मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से हुई जो आजीविका के लिए देश की राजधानी में रहते है, एक सामाजिक संस्था में सेवा दे रहे है , पर वो यहाँ रहकर भी अपनी पहाड़ी संस्कृति और नृत्य को बढ़ावा देने का पूरा प्रायस करते रहते है |

अनिल वर्मा बिते 10 साल से दिल्ली में रहकर अपना जीवन बसर कर रहे है, जो मूल तह हिमाचल के सिरमौर जिले की रायगढ़ तहसील के निवासी है। बचपन से ही उन्हें नृत्य में बहुत रूचि रही है। पर समय ने शुरुआत में मौका नहीं दिया पर कोरोना काल के लॉकडाउन के दौरान उन्हें ये मौका मिला , लॉकडाउन में जब सबकुछ रुक गया तभी कई लोगो ने अपने अंदर के छुपे टेलेंट को देखा और इस पर काम किया, ऐसे कई लोग हमें देखने को मिले, ऐसे ही एक अनिल वर्मा है।

जिन्होंने भी लॉकडाउन के दौरान अपने छुपे टेलेंट को निखारा , अनिल वर्मा ने लॉकडाउन के दौरान कुब्जा जिनके गायक प्रवेश है जिनको अनिल वर्मा आइडल मानते है, कुजबा पे पहाड़ी नृत्य किया और सोशल मीडिया में पोस्ट किया तो काफी लोगो ने इसको सराहा ,लोगो की सराहना को देखकर अपने अंदर छुपे टेलेंट पे काम करने का फिसला लिया। इसके बाद भी उन्होंने कई गांव पर पहाड़ी नृत्य किया , जिसको हिमाचली गायक सुदर्शन दीवाना ने भी प्रयास को सराहा।

इन्होने अपना मंच की शरुआत की जिसके मध्यम से लोगो तक पहुँचने का प्रयाश किया। अपना मंच में बच्चो और युवाओ के प्रतिभा को निखारने का मौका दिया। जिसमे नृत्य और सांस्कृतिक प्रतियोगिता भी करवाई और जितने वालो को सम्मानित भी किया। जिससे गाँव में छुपे टेलेंट को बहार ला सकें और उनको भी एक स्टेज मिल शके।

अनिल वर्मा ने कहां की सरकार और स्थानीय लोगों को भो पहाड़ी संस्कृति और नृत्य को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए। जब भी हम कुछ कार्यक्रम करते है तब हमे स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता देनी चाहिए जिनसे उनका हौसला भी बढ़ेगा और हमारी संस्कृति और नृत्य भी जीवित रहेगा। सरकार और सभी कमिटी को भी इसके लिए आगे आना चाहिए। जब तक सरकार और स्थानीय लोग सहयोग नहीं करेंगे तब तक पूर्ण सफलता नहीं मिल सकती ।

रिपोर्ट:- भावेश पीपलीया दिल्ली एन सी आर ब्यूरो

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