??????????
***|| जय श्री राधे ||***
?? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
****ll जय श्री राधे ll****
??????????
दिनाँक-: 14/03/2021,रविवार
प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष
फाल्गुन
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ——–प्रतिपदा 17:05:36 तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ———उoभाo26:18:25
योग —————शुभ 07:37:58
करण ————-बव 17:05:36
करण ———-बालव 29:53:51
वार ————————-रविवार
माह ———————— फाल्गुन
चन्द्र राशि ——————–मीन
सूर्य राशि —- कुम्भ 18:02:08
सूर्य राशि ——————–मीन
रितु ————————–शिशिर
आयन ———————उत्तरायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2077
शाका संवत —————-1942
सूर्योदय —————–06:31:04
सूर्यास्त —————–18:25:57
दिन काल ————-11:54:52
रात्री काल ————-12:04:00
चंद्रोदय —————-07:11:18
चंद्रास्त —————–19:20:42
लग्न —-कुम्भ 29°31′ , 329°31′
सूर्य नक्षत्र ———-पूर्वाभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र ———उत्तराभाद्रपदा
नक्षत्र पाया ——————–ताम्र
??? पद, चरण ???
दू —-उत्तराभाद्रपदा 06:47:40
थ —-उत्तराभाद्रपदा 13:16:14
झ —-उत्तराभाद्रपदा 19:46:29
ञ —-उत्तराभाद्रपदा 26:18:25
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य= कुम्भ 29°52 ‘ पूo भा o, 3 दा
चन्द्र = मीन06°23 ‘ उ oभाo, 1 दू
बुध = कुम्भ 04°57’ धनिष्ठा ‘ 4 गे
शुक्र= कुम्भ 26°55, पू oभा o ‘ 2 सो
मंगल=वृषभ 11°30 ‘ रोहिणी ‘ 1 ओ
गुरु=मकर 25°22 ‘ धनिष्ठा , 1 गा
शनि=मकर 15°43 ‘ श्रवण ‘ 2 खू
राहू=(व)वृषभ 20°53 ‘मृगशिरा , 4 वु
केतु=(व)वृश्चिक 20°53 ज्येष्ठा , 2 या
???शुभा$शुभ मुहूर्त???
राहू काल 16:57 – 18:26 अशुभ
यम घंटा 12:29 – 13:58 अशुभ
गुली काल 15:27 – 16:57 अशुभ
अभिजित 12:05 -12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 16:51 – 17:38 अशुभ
?गंड मूल 26:18* – अहोरात्र अशुभ
?पंचक अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:31 – 08:00 अशुभ
चर 08:00 – 09:30 शुभ
लाभ 09:30 – 10:59 शुभ
अमृत 10:59 – 12:29 शुभ
काल 12:29 – 13:58 अशुभ
शुभ 13:58 – 15:27 शुभ
रोग 15:27 – 16:57 अशुभ
उद्वेग 16:57 – 18:26 अशुभ
?चोघडिया, रात
शुभ 18:26 – 19:56 शुभ
अमृत 19:56 – 21:27 शुभ
चर 21:27 – 22:57 शुभ
रोग 22:57 – 24:28* अशुभ
काल 24:28* – 25:58* अशुभ
लाभ 25:58* – 27:29* शुभ
उद्वेग 27:29* – 28:59* अशुभ
शुभ 28:59* – 30:30* शुभ
?होरा, दिन
सूर्य 06:31 – 07:31
शुक्र 07:31 – 08:30
बुध 08:30 – 09:30
चन्द्र 09:30 – 10:29
शनि 10:29 – 11:29
बृहस्पति 11:29 – 12:29
मंगल 12:29 – 13:28
सूर्य 13:28 – 14:28
शुक्र 14:28 – 15:27
बुध 15:27 – 16:27
चन्द्र 16:27 – 17:26
शनि 17:26 – 18:26
?होरा, रात
बृहस्पति 18:26 – 19:26
मंगल 19:26 – 20:27
सूर्य 20:27 – 21:27
शुक्र 21:27 – 22:27
बुध 22:27 – 23:28
चन्द्र 23:28 – 24:28*
शनि 24:28* – 25:28*
बृहस्पति 25:28* – 26:29*
मंगल 26:29* – 27:29*
सूर्य 27:29* – 28:29*
शुक्र 28:29* – 29:30*
बुध 29:30* – 30:30
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान———————पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
1 + 1 + 1 = 3 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
? शिव वास एवं फल -:
1+ 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
?? विशेष जानकारी ??
* मीन संक्रांति प्रारम्भ 18:02 से
* मीन मल मास प्रारम्भ
* सर्वार्थसिद्धि योग 26:15 तक
??? शुभ विचार ???
गन्धः सुवर्णे फलभिक्षुदंडे-
नाऽकारि पुष्पं खलु चन्दनस्य ।
विद्वान् धनी भूपतिदीर्घजीवी
धातुः पुरा कोऽपि न बुध्दिदोऽभूत् ।।
।।चा o नी o।।
शायद किसीने ब्रह्माजी, जो इस सृष्टि के निर्माता है, को यह सलाह नहीं दी की वह …
सुवर्ण को सुगंध प्रदान करे.
गन्ने के झाड को फल प्रदान करे.
चन्दन के वृक्ष को फूल प्रदान करे.
विद्वान् को धन प्रदान करे.
राजा को लम्बी आयु प्रदान करे.
??? सुभाषितानि ???
गीता -: कर्मयोग अo-3
एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह यः ।,
अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति ॥,
हे पार्थ! जो पुरुष इस लोक में इस प्रकार परम्परा से प्रचलित सृष्टिचक्र के अनुकूल नहीं बरतता अर्थात अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता, वह इन्द्रियों द्वारा भोगों में रमण करने वाला पापायु पुरुष व्यर्थ ही जीता है॥,16॥,
?? दैनिक राशिफल ??
Comments are closed.