नोटरी वाली शादी और तलाक पर लगी रोक, इंदौर हाईकोर्ट ने विधि विभाग को जारी की गाइडलाइन

इंदौर। राष्ट्रीय जजंमेंट मध्य प्रदेश प्रभारी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने बड़ा निर्णय लिया है। जिसमें उन्होंने मध्यप्रदेश में शादी और तलाक की नोटरी करना और करवाना दोनों को अपराध बताया है। जिसके अनुसार अब मध्यप्रदेश में नोटरी के आधार पर शादी और तलाक नहीं होंगे।

इंदौर खंडपीठ ने नोटरी के द्वारा शादी या तलाक की परंपरा को अवैध बताते हुए इस पर रोक लगाने के लिए मध्यप्रदेश शासन के विधि विभाग को आदेश दिया है। उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया है कि शादी और तलाक की नोटरी करने वाले वकीलों का लाइसेंस रद्द किया जाए, साथ ही उनके खिलाफ भी मामले दर्ज किए जाए।

नोटरी के आधार पर शादी और तलाक पर रोक

बता दें कि इस मामले में गाइडलाइन और सख्त नियम बनाने का आदेश कोर्ट ने 31 दिसंबर को हुई एक मामले की सुनवाई के बाद दिया गया है। जिसके बाद ही इस आदेश की कॉपी वेबसाइट पर 2 जनवरी को डाली गई है। जिसके अनुसार मध्यप्रदेश में नोटरी के आधार पर शादी और तलाक करना वैध नहीं माना जाएगा।

नोटरी के आधार पर की गई शादी-तलाक वैध नहीं

इस संबंध में सरकारी वकील सुधांशु व्यास ने कहा कि जावरा निवासी फरियादी ने नोटरी के आधार पर एक महिला से शादी रचाई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही वह महिला डेढ़ लाख रुपए और जेवर लेकर ससुराल से फरार हो गई। इसकी शिकायत करने के बाद पुलिस ने उस महिला को गिरफ्तार कर लिया और फिर उसे इंदौर खंडपीठ के सामने पेश किया। जिसमें पाया गया कि नोटरी के आधार पर ऐसी शादियां और तलाक लगातार की जा रही है। उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के जस्टिस विवेक रुसिया ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार अब मध्यप्रदेश में नोटरी के आधार पर शादी और तलाक करना अवैधानिक है। जिसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

विधि विभाग को गाइडलाइन जारी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने नोटरी के संबंध में प्रशासन की विधि विभाग को निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि इस निर्देश का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई करें। साथ ही इस तरह के मामले आगे पाए जाने पर नोटरी लाइसेंस रद्द किया जाए और उसे इस मामले में आरोपी ठहराया जाए।

दो महीने से चली सुनवाई

इंदौर जिले में काफी समय से नोटरी के आधार पर शादी और तलाक करने का मामला सामने आ रहा था। जिसमें कई प्रकार की धोखाधड़ी भी उजागर हुई थी। इसी संबंध में करीब दो महीनों तक इंदौर हाई कोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से सुना। दोनों पक्षों की बात सुनने और जानने के बाद ही इंदौर हाई कोर्ट ने विधि विभाग को आदेश जारी किए है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More