स्वास्थ्य शिक्षा सड़क दूरसंचार से कोसों दूर है दर्जनों गांव

चमोली| विकासखंड पैन खंडा के जोशीमठ के सुदूरवर्ती गांव डुमक कल गोट, थैं ग, पैंका. सु की भल्ला गांव, एवं गा नाई, ला जी पोख नी, आदि गांव जहां आज के इस युग में लोग आज भी मिलो मिलो पैदल का सफर करते हैं, कहीं गांव में तो स्वास्थ्य की कोई व्यवस्था नहीं है. और ना ही तो दूरसंचार जैसी सुविधा देखी जा सकती है, अब जरा इन गांव की समस्या की तरफ एक नजर देख सकते हैं, इन गांव के लोग स्वास्थ्य की सुविधा ना होने के कारण अपने मरीजों को 4 आदमियों के सहारे वाली गाड़ियों से यानी की डंडी कंडी से बीमार व्यक्ति को चार कंधों के सहारे स्वास्थ्य समुदायिक केंद्र में बीमार व्यक्ति को पहुंचाते हैं, कहीं गांव का तो इतना खतरनाक रास्ता है कि इंसान तो क्या जानवर भी घबरा जाता है, ऊपर से चट्टानों का टूटने का डर अलग सा रहता है, कई बार तो बीमार व्यक्तियों के साथ बड़ा हादसा हो जाता है, बताते चलें कि महिलाओं का जब डिलीवरी का समय होता है तो उस समय भी कठिन जीवन भरा होता है|

महिलाएं रास्ते में दर्द से चिल्लाते हैं, जानवरों का खतरा अलग सा बना हुआ रहता है, कहीं गांव में जाने के लिए तो बीच जंगलों से चलना पड़ता है, जिन जंगलों में आए दिन जंगली जानवर घूमते हुए दिखाई देते हैं, अब समस्या बनती है शिक्षा जैसी बातों पर कहीं गांव मैं तो हाई स्कूल एवं इंटर कॉलेज जैसी व्यवस्था नहीं है, अब बच्चे दूर जाकर के इन विद्यालयों का रुख करते हैं, मिलो मिलो पैदल चलते हैं, छोटे-छोटे बच्चे, क्योंकि कई दूरी पर विद्यालय होने से इन बच्चों का मिलो मिलो पैदल चलना किसी मुसीबत से कम नहीं है|

बता दें कि कई गांव में तो दूरसंचार जैसी व्यवस्था नहीं है, तब यहां के ग्रामीण जिस जगह पर मात्र थोड़ा सा कहीं पर सिग्नल पकड़ता है तो वहीं से दूरसंचार जैसी सुविधा का लाभ लेते हैं, कहीं गांव के लोगों ने साफ कह दिया है कि सड़क नहीं तो वोट नहीं, आजादी के 73 साल पूरे होने को आ गए लेकिन दर्जनों गांव की समस्या जस की तस पड़ी हुई है, समय इलेक्शन का आ जाता है, उस समय बड़े-बड़े नेता इन गांव का चक्कर काटते हैं, उस समय भोली भाली जनता को आश्वासन भी दिया जाता है, फिर इलेक्शन के बाद रामभरोसा चलती है गांव की समस्या, रास्ते में दर्द से चिल्लाते हैं बीमार लोग|

अब सवाल बना है मौसम का जब उत्तराखंड के ऊंचाई वाले गांव में जबरदस्त बर्फबारी होती है, उस समय भी गांव की महिलाएं एवं बुजुर्ग या बच्चा बीमार हो जाता है तो उस समय भी कठिन भरा समय ग्रामीणों को देखना पड़ता है, रास्ता बारिश और बर्फ से इतना खतरनाक हो जाता है कि, गलती से भी कोई फिसल गया तो समझो उसकी मृत्यु निश्चित है, अब धीरे-धीरे सारे गांव में पलायन तेजी से बढ़ रहा है, गांव के गांव खाली होते हुए दिखाई दे रहे हैं, अगर सभी प्रकार की व्यवस्था गांव में देखी जाए तो शायद ही कोई पलायन कर सके, जब किसी प्रकार की व्यवस्था पूरी नहीं होती है तो मजबूरन ग्रामीणों को पलायन करना पड़ता है, पलायन का मुख्य कारण है, स्वास्थ्य शिक्षा और सड़क दूरसंचार और साथ में रोजगार अगर यदि यह चीजें उपलब्ध ना हो तो पलायन की समस्या उत्पन्न हो जाती है

रिपोर्ट- नवीन भंडारी

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