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|| जय श्री राधे ||
?? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
ll जय श्री राधे ll
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दिनाँक -: 18/12/2020,शुक्रवार
चतुर्थी, शुक्ल पक्ष
मार्गशीर्ष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-चतुर्थी 14:22:26 तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ———-श्रवण 19:03:05
योग ———-व्याघात 14:05:34
करण ——विष्टि भद्र 14:22:25
करण ————-बव 26:12:10
वार ————————-शुक्रवार
माह ———————— मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि ——————- मकर
सूर्य राशि ———————– धनु
रितु —————————-हेमंत
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2077
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-07:05:18
सूर्यास्त —————–17:26:43
दिन काल ————- 10:21:24
रात्री काल ————-13:39:08
चंद्रोदय —————–10:22:07
चंद्रास्त —————-21:16:05
लग्न —-धनु 2°26′ , 242°26′
सूर्य नक्षत्र ———————मूल
चन्द्र नक्षत्र ——————-श्रवण
नक्षत्र पाया ——————-ताम्र
??? पद, चरण ???
खे —-श्रवण 13:01:12
खो —-श्रवण 19:03:05
गा —-धनिष्ठा 25:07:48
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
सूर्य= धनु 02°22 ‘ मूल , 1 ये
चन्द्र = मकर 16°23 ‘ श्रवण ‘ 3 खे
बुध = धनु 01°07 ‘ मूल ‘ 1 ये
शुक्र= वृश्चिक 08 °55, अनुराधा ‘ 2 नी
मंगल=मीन 27°30 ‘ रेवती ‘ 4 ची
गुरु=मकर 05°22 ‘उ oषा o , 3 जा
शनि=मकर 05°43 ‘ उ oषा o ‘ 3 जा
राहू=(व)वृषभ 25°30 ‘मृगशिरा , 1 वे
केतु=(व)वृश्चिक 25°30 ज्येष्ठा , 3 यी
???शुभा$शुभ मुहूर्त???
राहू काल 10:58 – 12:16 अशुभ
यम घंटा 14:51 – 16:09 अशुभ
गुली काल 08:23 – 09:41 अशुभ
अभिजित 11:55 -12:37 शुभ
दूर मुहूर्त 09:10 – 09:51 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:37 – 13:18 अशुभ
?चोघडिया, दिन
चर 07:05 – 08:23 शुभ
लाभ 08:23 – 09:41 शुभ
अमृत 09:41 – 10:58 शुभ
काल 10:58 – 12:16 अशुभ
शुभ 12:16 – 13:34 शुभ
रोग 13:34 – 14:51 अशुभ
उद्वेग 14:51 – 16:09 अशुभ
चर 16:09 – 17:27 शुभ
?चोघडिया, रात
रोग 17:27 – 19:09 अशुभ
काल 19:09 – 20:52 अशुभ
लाभ 20:52 – 22:34 शुभ
उद्वेग 22:34 – 24:16* अशुभ
शुभ 24:16* – 25:59* शुभ
अमृत 25:59* – 27:41* शुभ
चर 27:41* – 29:23* शुभ
रोग 29:23* – 31:06* अशुभ
?होरा, दिन
शुक्र 07:05 – 07:57
बुध 07:57 – 08:49
चन्द्र 08:49 – 09:41
शनि 09:41 – 10:32
बृहस्पति 10:32 – 11:24
मंगल 11:24 – 12:16
सूर्य 12:16 – 13:08
शुक्र 13:08 – 13:59
बुध 13:59 – 14:51
चन्द्र 14:51 – 15:43
शनि 15:43 – 16:35
बृहस्पति 16:35 – 17:27
?होरा, रात
मंगल 17:27 – 18:35
सूर्य 18:35 – 19:43
शुक्र 19:43 – 20:52
बुध 20:52 – 21:59
चन्द्र 21:59 – 23:08
शनि 23:08 – 24:16
बृहस्पति 2 4:16* – 25:25
मंगल 25:25* – 26:33
सूर्य 26:33* – 27:41
शुक्र 27:41* – 28:49
बुध 28:49* – 29:58
चन्द्र 29:58* – 31:06
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान———————पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
4 + 6 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
? शिव वास एवं फल -:
4 + 4 + 5 = 13 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक ,दुःख कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 14:22 तक समाप्त
पाताल लोक = धनलाभ कारक
?? विशेष जानकारी ??
- विनायकी चतुर्थी
- सर्वार्थसिद्धि योग 19:03 तक
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