MP में बन रही है नकली रेत, सरकारी निर्माण में हो रहा है उपयोग

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भोपाल 7 दिसंबर । आपने नकली दूध, नकली घी नकली मावा और नकली सीमेंट के बारे में सुना होगा पर क्या कभी आपने नकली रेत के बारे में सुना है अगर नहीं तो आज जान लीजिए कि मध्य प्रदेश में रेत माफिया से जुड़े कारोबारी नकली रेत बेच रहे हैं और सरकारी निर्माण में इस रेत का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है
रेत माफिया जमीन से मिट्टी और मुरूम निकालकर उसे रेत की शक्ल दे रहे हैं और बड़े पैमाने पर इसे खपा रहे हैं नकली रेत के बढ़ते कारोबार का असर अब असली रेत के कारोबार पर हो रहा है
और ठेकेदार परेशान हैं न्यूज़ वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक ग्वालियर के घाटीगांव क्षेत्र में छह जखा सहित अन्य गांव में मिट्टी और मुरूम से नकली रेत बनाई जा रही है वेबसाइट ने दावा किया है कि नकली रेत का इस्तेमाल अधिकांश सरकारी निर्माण में किया जा रहा है जो उस बिल्डिंग के लिए खतरा है क्योंकि नकली रेत के प्रयोग के कारण यह मजबूत नहीं बन सकती कभी भी गिर सकती है एमपी ब्रेकिंग से बात करते हुए एक रेत के बड़े कारोबारी आशीष माहेश्वरी ने कहा है कि नकली रेत माफिया का असर उन जैसे रेत कारोबारियों पर पड़ रहा है उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत उन्होंने कलेक्टर से की है।
एक न्यूज बेबसाइट ने लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री से बातचीत का हवाला देकर लिखा है कि पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री ने उन्हें बताया कि उन्होंने भी नकली रेत के बारे में सुना है कुछ लोग मिट्टी और मुरम से नकली रेत बना रहे हैं नकली रेत सीमेंट में नहीं चिपकती जिसकी वजह से भवन कमजोर होकर गिर सकते हैं कार्यपालन यंत्री ने कहा कि ग्वालियर और चंबल की रेत का इस्तेमाल होता है
सिंधु नदी की रेत सीमेंट कंक्रीट भवनों में निर्माण और चंबल नदी की रेत भवनों के प्लास्टर के लिए उपयोग की जाती है उन्होंने बताया कि मिटटी मुरुम से बनाई जाने वाली रेत सीमेंट के साथ नहीं चिपकती इसलिए इसका इस्तेमाल खतरनाक है।
बहरहाल यह बेहद ही चिंता का विषय है नकली रेत माफिया अगर इसी तरह सांठगांठ करके सरकारी निर्माण में नकली रेत को खपाने में सफल हो गया तो आने वाले वर्षों में सरकारी इमारतें अपनी उम्र से पहले ही गिर जाएंगे

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