किसानो पर रहे अत्याचार महिलाओं ने कहा बहुएं-बेटियां आकर करेंगी मदद

0

RJ न्यूज़ 

पंजाब  

पंजाब से दिल्ली जाने के लिए महिला किसान भी पीछे नहीं हैं और उनका जत्था भी आया हुआ है, जो किसानों संग कुंडली बॉर्डर पर डटा हुआ है। महिलाओं का जत्था किसानों के लिए खाने का प्रबंध करने के साथ ही आंदोलन में बराबरी का योगदान दे रहा है। महिलाओं का कहना है कि वे अपना हक लेने आए हैं और हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। हक मिलने पर ही अब लौटेंगे। महिलाओं ने कहा कि अगर आंदोलन में उनकी जान चली गई तो उनकी बहुएं-बेटियां आकर किसानों की मदद करेंगी।

कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे महिलाओं के जत्थे ने कहा कि उनके साथ बुजुर्ग, युवा और महिलाएं आई हुई हैं। वे किसानों के लिए खाने का प्रबंध करने के साथ ही अपने हक की लड़ाई में भी पूरा योगदान दे रही हैं। महिलाओं का कहना था कि वे कपड़े व बिस्तर बांधकर लाए हैं। सरकार ने किसानों को बर्बाद करने के लिए जो तीन कानून बनाएं हैं, वे उसे वापस लेने के बाद ही लौटेंगे।
उनका कहना

था कि उनके पास छह माह से अधिक का राशन है। सरकार उन्हें दिल्ली जाने से जहां रोकेगी, अब वह वहीं रुककर धरना प्रदर्शन शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि जब उन्हें रास्ता खुला मिलेगा, तो वे दिल्ली की तरफ कूच शुरू कर देंगी। वे किसान परिवार से हैं और किसान ने कभी हार नहीं मानी। वह देश के लिए निवाले का इंतजाम करता है। ऐसे में उसे ही सरकार दबाने में लगी है, जिसे अब सहन नहीं किया जा सकता। किसान हिंसा नहीं करेंगे। सरकार जहां कहेगी, वहीं रुककर अपना आंदोलन आगे बढ़ाएंगे।

यह बोलीं महिला किसान
किसान ही है, जो देश का पेट भर रहा है। केंद्र सरकार किसान पर ही अत्याचार कर रही है। अब समय आ गया है, जब किसान को सड़क पर उतरने को मजबूर होना पड़ा। महिलाओं का जत्था भी उनके साथ है। आंदोलन को सफल बनाकर ही लौटेंगे।

किसान घर छोड़कर निकल चुका है। किसान ने सदैव देश की सेवा की है। अब किसान को ही बर्बाद करने का प्रयास किया गया तो उसे अपनी आवाज उठानी पड़ी। किसान की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। वे लड़कर मरने को भी तैयार हैं। महिलाएं उनके आगे खड़ी हैं। अगर जान देनी पड़ी तो वे आगे आकर अपनी जान देंगी। अब मांगों को हर हाल में पूरा कराया जाएगा।

किसान अपना हक लेने आया है। सरकार को उसका हक तुरंत देना चाहिए। किसान अपनी मांग पूरी कराने के लिए हर कुर्बानी दे सकता है। छोटे बच्चों को साथ लेकर महिलाएं भी इस आंदोलन में कूद गई हैं। अब मांग पूरी होने के बाद ही उनके कदम वापस मुडें़गे। नहीं तो वे आरपार की लड़ाई लड़ने को भी तैयार हैं।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More