सिंधी भाषा साहित्य व संस्कृति नहीं बची तो सिंधी समाज का वजूद खत्म: ओमी

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लखनऊ: अपना राज्य ना होने के कारण सिंधी भाषा,साहित्य,संस्कृति, कला व तीज त्यौहार खतरे में है धीरे-धीरे भाषा व साहित्य और पुराने रीति रिवाज समाप्त होते जा रहे है जोकि बहुत बड़े खतरे का संकेत हैं यह बातें लखनऊ में आयोजित एक वैवाहिक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सिंधी युवा समाज के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश ओमी ने कही उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद सिंधी समाज बड़ी संख्या में देश के अलग-अलग राज्यों में रोजी रोटी व अपने परिवार के पालन पोषण के लिए बस गया |

सिंधी समाज को देश में कोई भी राज्य नहीं मिला जिसका मलाल आज तक है राज्य न मिलने के कारण सिंधी समाज का भाषा, संस्कृति के साथ-साथ देश की राजनीति की मुख्यधारा में कोई वजूद ना होने के कारण बहुत बड़ा नुकसान हुआ है उन्होंने कहा कि देश की सरकार को सिंधी भाषा, साहित्य, कला को जिंदा रखने के लिए जिस तरह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में सिंधी भाषा साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए सिंधी अकादमी बनी हुई है |

उसी तरह देश के शेष राज्यों में भी गठन होना चाहिए ताकि भाषा,संस्कृति व कला का प्रचार-प्रसार हो सके उन्होंने कहा कि गठन के लिए देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति व जिन राज्यों में गठन होना है वहां के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को भी पत्र भेजा गया है देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सिंधी अकादमी के गठन के लिए निर्देश जारी करना चाहिए ताकि जल्द से जल्द देश के सभी राज्यों में अकादमी  का गठन हो |

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