14 नवंबर को मनाई जायेगी छोटी और बड़ी दीपावली
पाँच की जगह चार दिवसीय होगा दीपोत्सव
शनि के स्वाग्रही मकर राशि पर होने से बनेगा मंगलकारी योग, व्यापार के लिए लाभकारी
जनता के लिए रहेगा शुभ,
पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा
जयपुर। पांच दिवसीय दीपोत्सव इस साल 5 दिन के स्थान पर 4 दिन का होगा। छोटी दीपावली यानि रूप चौदस और दीपावली एक ही दिन मनाई जाएगी। धनतेरस भी दिवाली के 1 दिन पहले 13 नवंबर की रहेगी। 15 नवंबर को राम-राम और 16 नवंबर की भैया दूज मनाई जाएगी। इस दिवाली ग्रहों का बड़ा खेल देखने को मिलेगा। दीपावली पर गुरु ग्रह अपनी स्वराशि धनु और शनि अपनी स्वराशि मकर में रहेगा। जबकि शुक्र ग्रह कन्या राशि में रहेगा। बताया जा रहा है कि दीपावली पर तीन ग्रहों का यह दुलर्भ संयोग 2020 से पहले 1521 में बना था। ऐसे में यह संयोग 499 साल बाद बन रहा है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक, ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली का त्यौहार पंच महोत्सव होता है लेकिन इस बार पांच दिन का न होते हुए चार दिन का महोत्सव होगा। 13 नवंबर को धनतेरस से दीप पर्व का शुभारंभ होगा, जो 16 नवंबर को भाई दूज के दिन संपन्न होगा। धार्मिक मान्यता है कि जिस दिन सूर्यास्त के बाद एक घड़ी अधिक तक अमावस्या तिथि रहे उस दिन दीपावली मनाई जाती है। कार्तिक अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं। अमावस्या की रात्रि में ही माता धरती पर विचरण करती हैं। इसी वजह से यह त्यौहार अमावस्या की रात को मनाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस बार अमावस्या तिथि 14 नवंबर दोपहर 2:17 बजे से शुरू होगी और दूसरे दिन 15 नवंबर को सुबह 10:36 बजे तक रहेगी। यही वजह है कि माता लक्ष्मी का पूजन 14 नवंबर शनिवार को होगा। त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर की रात 9: 31 से शुरू होकर 13 नवंबर को शाम 6:00 बजे तक रहेगी। 13 नवंबर को ही प्रदोष व्रत भी रहेगा। ऐसे में 13 नवंबर को ही धनतेरस मनाई जाएगी, क्योंकि धनतेरस प्रदोष के दिन ही रहती है। नवरात्र स्थापना शनिवार को था और दीपावली भी शनिवार को है। यह एक बड़ा ही मंगलकारी योग है कि शनि स्वाग्रही मकर राशि पर है। यह योग व्यापार के लिए लाभकारी एवं जनता के लिए शुभ फलदायी रहेगी। कई वर्षों बाद यह दुर्लभ संयोग बन रहा है तंत्र पूजा के लिए दीपावली पर्व को विशेष माना जाता है। इस वर्ष 14 नवंबर दिन शनिवार को दिवाली है। सन 1521 के करीब 499 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ योग देखने को मिलेगा।
द्वितीय तिथि का छय..
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग गणना में इस बार द्वितीय तिथि का क्षय हो रहा है। इसके अनुसार दीप पर्व में रूप चौदस सुबह तो महालक्ष्मी पूजन शाम को किया जा सकेगा। पूर्व में भी इसी तरह दीप उत्सव मनाए जा चुके हैं। 13 नवंबर को प्रदोषकाल में धनतेरस एवं दीप दान मास शिवरात्रि का प्रदोष के पर्व के साथ धनवंतरी जयंती भी मनाई जाएगी। रूप चौदस चतुर्दशी का पर्व अरुणोदयम से पूर्व मनाया जाएगा। 14 नवंबर महालक्ष्मी पूजन के समय स्वाति नक्षत्र सौभाग्य योग तुला राशि का चंद्रमा तुला राशि का सूर्य धनु राशि के गुरु में होगा।
लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त..
भविष्यवक्ताअनीष व्यास ने बताया कि लक्ष्मी पूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिर लग्न और स्थिर नवांश में किया जाना श्रेष्ठ माना गया है। प्रदोष काल शाम 5:33 से रात 8:12 तक रहेगा। लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 5:49 से 6:02 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में प्रदोषकाल स्थिर वृष लग्न और कुंभ का स्थिर नवांश भी रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग मनेगी दीपावली..
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि 14 नवंबर दीपावली के दिन रात 8:10 बजे तक स्वाति नक्षत्र रहेगा। इसके बाद पूरी रात विशाखा नक्षत्र रहेगा। पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। शनिवार को प्रदोष काल में स्वाति से बना सिद्धि योग कार्य सफलता के लिए अच्छा माना गया है। स्वाति नक्षत्र चर, चल-संज्ञक नक्षत्र होने के कारण वाहन लेने देने, उद्योग कर्म, दुकानदारी, चित्रकारी शिक्षक, स्कूल संचालक, श्रृंगार प्रसाधन एवं अन्य कर्म के लिए अच्छा माना जाता है।