महाराष्ट्र ; एकनाथ खड़से के बाद पंकजा भी बीजेपी छोड़ने को तैयार

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महाराष्ट्र में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एकनाथ खड़से के बाद अब पंकजा मुंडे भी बगावत के लिए तैयार हैं। बताया जा रहा है कि वह कभी भी शिवसेना में शामिल हो सकती हैं। पिछले दिनों की उनकी कुछ गतिविधियों और शिवसेना नेता द्वारा उनको दिए गए खुले आफर पर उनकी प्रतिक्रिया ने इस संभावना को और बल दे दिया है। बताया जा रहा है कि शिवसेना के एक नेता ने उनको पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था जिसको सीधे खारिज करने की जगह उन्होंने इसके लिए उसे धन्यवाद दिया।
इसी के साथ इसी 22 अक्तूबर को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गन्ना किसानों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का अलग से राहत पैकेज का ऐलान किया। जिस पर बीजेपी ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उसे ऊंट के मुंह में जीरा बताया था और उसे खारिज कर दिया था। लेकिन पंकजा अपनी पार्टी की लाइन से इतर जाकर न केवल उसका स्वागत किया बल्कि ठाकरे की यह कहकर तारीफों के पुल बांध दिए कि उन्होंने उनकी मांग पर गौर किया। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस, राज्य के बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और सांसद राव साहेब दानवे तथा पूर्व मंत्री सुधीर मुंगंतिवार ने उसकी आलोचना की थी।
पंकजा की स्थिति तभी से डांवाडोल बनी हुई है जब वह पिछले विधानसभा के चुनाव में हारीं। एकनाथ खड़से की तरह वह भी अपनी हार के लिए बीजेपी के भीतर के षड्यंत्र को जिम्मेदार मानती हैं। पंकजा ने 2009 और 2014 में परली विधानसभा सीट जीती थी लेकिन 2019 का पिछला चुनाव वह एनसीपी नेता और अपने चचेरे भाई धनंजय मुंडे से हार गयीं। इसके पहले यह विधानसभा क्षेत्र रेनापुर के नाम से जाना जाता था जिस पर उनके पिता गोपीनाथ मुंडे कई बार चुनाव जीते थे।
25 अक्तूबर को बीड़ के भगवानगढ़ में आयोजित दशहरा रैली में पंकजा ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से बाढ़ से पीड़ित किसानों के लिए दिवाली गिफ्ट के तौर पर राहत पैकेज की घोषणा करने का मांग की थी। उन्होंने कहा कि “इसलिए मैं मुख्यमंत्री द्वारा घोषित किए गए पैकेज का स्वागत करती हूं और उन्हें इसकी बधाई देती हूं।” हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पैकेज अपर्याप्त है और मुख्यमंत्री को और उदार होना चाहिए था।
आगे उन्होंने बताया कि जब कोविड के दौरान तमाम तरह की पाबंदियां थीं तो मुख्यमंत्री ठाकरे का उनके पास फोन आया था उन्होंने पूछा था कि वह गन्ना किसानों के मुद्दे को क्यों उठा रही हैं। पंकजा ने कहा कि “जब मैंने मुख्यमंत्री के सामने उसकी व्याख्या की तो सरकार ने गन्ना उत्पादक किसानों को अपने घरों को जाने की इजाजत दी….।” “इसको लेकर मुख्यमंत्री मुझसे नाराज हो गए क्योंकि वह मेरे बड़े भाई हैं…लेकिन उन्होंने मुझे सुना”।
इसके अलावा पंकजा ने कहा कि वह बहुत जल्द ही गन्ना मजदूरों की समस्याओं को लेकर शरद पवार से मिलेंगी और इसके साथ ही उन्होंने भरोसा भी जताया कि वह उनकी बात को सुनेंगे। उसी के साथ ही उन्होंने पवार की तारीफ में ट्वीट भी किया। “सलाम….यहां तक कि महामारी के दौरान भी आप ढेर सारी यात्राएं कर रहे हैं। आपके काम करने की प्रणाली बेहद मूल्यवान है।”
दिलचस्प बात यह भी रही कि पंकजा ने अपने भाषण में ठाकरे का नाम तीन बार और पवार का नाम कम से कम दो बार लिया जबकि देवेंद्र या फिर किसी और बीजेपी नेता का एक बार भी नाम नहीं लिया।उसी रैली में पंकजा ने कहा कि मुंबई स्थित शिवाजी पार्क में रैली आयोजित करना मुंडे साहब का सपना था। अगले शायद दशहरा रैली हम शिवाजी पार्क में आयोजित करेंगे।इस मौके पर उन्होंने ठाकरे को अपनी शुभकामना दी। जिन्हें उसी शाम शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को संबोधित करना था। उन्होंने कहा कि “मेरी पूरी उनको शुभकामना है…..पूरा महाराष्ट्र उन्हें देख रहा होगा।”
खड़से के एनसीपी में शामिल होने के बाद पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर औऱ मौजूदा मंत्री गुलाबराव पाटिल जैसे नेताओं ने पंकजा को शिवसेना में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था। बीड़ में 24 अक्तूबर को भाषण देते हुए पंकजा ने सेना नेताओं को इस प्रस्ताव के लिए धन्यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि हालांकि वह अपना फैसला खुद करने में सक्षम हैं।
इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए खोतकर ने कहा कि “उन्होंने (पंकजा) हमारे प्रस्ताव पर शुक्रिया कहा……इसका बहुत मतलब है। उन्होंने हमारे प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है। हम अभी भी आशावान हैं।“ आपको बता दें कि ठाकरे जब मुख्यमंत्री बने थे तो उन्हें धन्यवाद देने जाते समय खोतकर पंकजा के साथ थे। उस फोटो को लेकर बीजेपी बेहद असहज हो गयी थी। ठाकरे से मिलने वाला दूसरा कोई अगर नेता था तो वह एकनाथ खड़से थे।

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