कुंडली में मौत का योग बताकर बड़े भाई ने की आत्महत्या, 3 दिन बाद छोटे भाई ने भी दे दी जान

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मध्यप्रदेश के उज्जैन में भी दिल्ली के बुराड़ी जैसा मामला सामने आया है जहां एक ही परिवार के दो सगे भाइयों ने बारी-बारी से खुदकुशी कर ली। बड़े भाई की मौत के बाद छोटे भाई ने भी वहीं जाकर खुदकुशी कर ली जहां बड़े भाई ने अपनी जान दी थी। अब दोनों भाइयों की खुदकुशी मामले में कुंडली कनेक्शन सामने आया है।
घटना शहर की सांईधाम कॉलोनी की है। जहां तीन दिन के भीतर एक ही परिवार के दो सदस्यों ने खुदकुशी कर ली। मामला कर्ज, धोखाधड़ी और मानसिक तनाव के साथ अंधविश्वास से भी जुड़ा है। यहां रहने वाले दवा दुकान के संचालक व ज्योतिष प्रवीण चौहान (48) ने 10 अक्तूबर को नृसिंह घाट पुल से नदी में कूदकर जान दे दी थी। इसके बाद सोमवार (12 अक्तूबर) को प्रवीण के छोटे भाई पीयूष (38) ने भी उसी जगह से नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली।
जानकारी के मुताबिक, बड़े भाई ने सुसाइड नोट में कुंडली बनाकर लिखा था- ‘आत्महत्या का योग है’। छोटे भाई ने मरने से पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा- ‘पापा आप भी आ जाना।’
भाई की तस्वीर के लिए हार लेने गया था पीयूष
सोमवार को बड़े भाई प्रवीण का उठावना था। परिजन व रिश्तेदार चक्रतीर्थ से सारी राख समेटकर घर आए थे। सांईधाम कॉलोनी में दोपहर को उठावना था, इसी बीच पीयूष चौहान ने घर वालों से कहा कि भाई की तस्वीर पर हार चढ़ाना है, मैं अभी लेकर आता हूं। यहां से वह नृसिंह घाट पहुंचा और शिप्रा नदी में छलांग लगा दी। राहगीरों ने उसे नदी में कूदते देख पुलिस को सूचना दी। इस बीच पीयूष की सोशल मीडिया पर सुसाइड नोट वाली पोस्ट का पता चला। जिसके बाद दोस्त व परिजन नृसिंह घाट पहुंच गए।
10 दिन पहले कहा था- जीवन शिप्रा को समर्पित कर दूंगा
तैराकों का मदद से एक घंटे बाद नदी से शव को निकाला तो पीयूष की पत्नी लिपट गई और मुंह से सांस देने लगी। रोते हुए टीआई अरविंद सिंह तोमर पर भी चिल्लाई… देख क्या रहे हैं, इनकी सांस चल रही है, जल्दी कीजिए, अस्पताल लेकर चलो। दोपहर को पोस्टमार्टम के दौरान रिश्तेदार व दोस्त यही बोले कि दो रात से वह भाई के गम में सोया नहीं था। उसका दिमाग डायवर्ट करने के लिए उसे घुमाने ले जाने का प्रयास भी किया पर उसने मना कर दिया। एक दोस्त ने बताया कि दस दिन पहले पीयूष ने बोला था कि अब जीवन को शिप्रा को समर्पित कर दूंगा, कुछ नहीं बचा है, लेकिन उसके हंसमुख स्वभाव को देखकर इसे गंभीरता से नहीं लिया।

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