बहुचर्चित हनीट्रैप कांड शिवराज सरकार को बनी मुसीबत,आईएएस अधिकारियों सहित 184 से थे आरोपितों के रिश्ते,

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मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप मामले की आरोपितों के रिश्ते प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों समेत 184 लोगों से थे जिसमें शिवराज सरकार के मंत्री और कमलनाथ सरकार की पूर्व मंत्री के नाम भी शामिल हैं, दो दर्जन विधायकों के नाम भी उजागर हुए हैं। पुलिस मुख्यालय के जानकारों के अनुसार 2 दिन पूर्व मप्र हाईकोर्ट को बंद लिफाफों में सौंपी गई जांच रिपोर्ट में इन अफसरों के रिश्तों का राजफाश किया गया है। रिपोर्ट में जिनके नाम है, उनमें प्रदेश के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी, 2 रिटायर्ड अतिरिक्त मुख्य सचिव, एक प्रमुख सचिव, एक मौजूदा अतिरिक्त प्रमुख सचिव और एक सचिव स्तर के अधिकारी भी शामिल है।
जाल में फंसे लोगों के नाम एसआईटी की जांच में सामने आए
अब तक जांच में किसी भी आईपीएस अधिकारी का नाम सामने नहीं आया है जबकि एक पूर्व मंत्री के आरोपितों से करीबी रिश्ते सामने आए है। हनीट्रैप के जाल में फंसे लोगों के नाम स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की जांच में सामने आए है। हाई कोर्ट से अगला दिशा निर्देश मिलने के बाद एसआईटी मामले में आगे कार्रवाई करेगी। हनीट्रैप मामले में मध्यप्रदेश पुलिस पर रसूखदारों को बचाने का आरोप लगाते हुए मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में इस मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर याचिका दायर की गई थी। इस पर इंदौर हाई कोर्ट ने एसआईटी से स्टेटस रिपोर्ट के साथ ही अब तक की जांच में सामने आए नामों की सूची मांगी थी। एसआईटी ने गुरूवार को 3 बंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में जमा कराई थी। सुनवाई के दौरान एसआईटी चीफ राजेन्द्र कुमार भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थित हुए थे।
अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।
सरकार नहीं चाहती नाम उजागर हों
मामले में सरकार की तरफ से पक्ष महाविधवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव ने रखा था। कौरव का कहना था कि आरोपितों ने कई लोगों से बातचीत और मुलाकात की थी। ऐसे में यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति का संबंध अपराध से हो लिहाजा यह नाम सार्वजनिक नहीं होने चाहिए। मामले की सुनवाई बंद कमरे में होनी चाहिए। कोर्ट ने सरकार की यह मांग स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई बंद कमरे में करने के निर्देश दिए है।

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