गजब : 58 किसानों की पुश्तैनी जमीन को राजस्व विभाग ने दिखा दिया सरकारी

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भोपाल । एक तरफ सरकार किसानों के हित में अपना न केवल खजाना खोल रही है, बल्कि उनके लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है, तो दूसरी ओर सरकारी अफसर हैं कि किसानों के मामले में पूरी तरह से लापरवाह बने हुए हैं। इसी तरह की लापरवाही का शिकार हुए हैं भिंड विकासखंड के ग्राम भटमासपुरा के 58 किसान, जो अपनी करीब 200 हेक्टेयर पुश्तैनी जमीन को सरकारी रिकार्ड में खो कर भूमीहीन हो चुके हैं। अफसरों ने इनकी जमीन को भू-राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी रकबा बता दिया है। अब राजस्व विभाग के कर्मचारियों की यही लापरवाही किसानों के लिए मुसीबत बन चुकी है।
इस मामले का खुलासा तअ हुआ जब किसानों ने प्रधानमंत्री सम्मान निधि पाने के लिए आवेदन दिया। अब इन किसानों को अपनी ही पुश्तैनी यह जमीन पाने के लिए बीते डेढ़ साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। दरअसल किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए जब खसरा-खतौनी बनवाने गए तो उन्हें पता चला कि उनकी जमीन रिकार्ड में सरकारी दर्ज की जा चुकी है। अफसरों की गंभीर लापरवाही की वजह से यह किसान समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए जरूरी पंजीयन भी नहीं करा सके।
2007 में की गई गड़बड़ी
यह गंभरी गड़बड़ी भू- राजस्व विभाग द्वारा वर्ष 2007 में की गई है। उस समय प्रदेश में जमीन का पूरा रिकॉर्ड कम्प्यूटराइज्ड करवाया गया था। इसी दौरान इन किसानों की जमीन कम्पयूटर में सरकारी रकबे के रुप में दर्ज कर दी गई। खास बात है कि प्रशासनिक स्तर पर हुई इस गड़बड़ी पर पटवारी, राजस्व निरीक्षक नायब तहसीलदार समेत अन्य आला अधिकारियों ने ध्यान ही नहीं दिया। अब उनकी लापरवही का खमियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

*नहीं मिल रहे यह लाभ*

प्रशासन की इस गंभीहर लापरवाही के चलते किसानों कोसरकार से मिलने वाले तमाम फायदों से भी वंचित होना पड़ रहा है। इनमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल कर्ज और समर्थन मूल्य पर फसल बेचनें की सुविधा शामिल है।
क्या कहते है कि किसान
पुश्तैनी जमीन का मालिकाना हक पाने के लिए किसान डेढ़ साल से तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। किसान अरुण का कहना है कि भू-राजस्व रिकॉर्ड में हुई गड़बड़ी के कारण पुश्तैनी जमीन सरकारी रकबे में दर्ज हो गई है। इससे उन्हें किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। किसान साहिब सिह यादव का कहना है कि वे डेढ़ साल से तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, पर अफसर हैैं कि इस मामले में कोई सुनवाई ही नहीं कर रहे हैं।

 

हरिशंकर पाराशर मध्य प्रदेश RJ

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