किर्गिस्तान- लॉकडाउन में हजारों भारतीय छात्र फंसे,नहीं मिल रही मदद

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नई दिल्ली. किर्गिस्तान में भारत के 10 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं।

लॉकडाउन लगने के बाद इनमें से कई बच्चे वहीं फंस गए हैं।

लॉकडाउन में किर्गिस्तान में जो नियम लागू किए गए, उसके मुताबिक बाहर निकलने पर हर विदेशी के पास पासपोर्ट होना चाहिए।

बिना पासपोर्ट के कोई बाहर नहीं निकल सकता।

बहुत से स्टूडेंट्स के पासपोर्ट कॉलेज में जमा हैं, ऐसे में वे पिछले करीब 70 दिनों से अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकल सके हैं।

वे लोकल स्टूडेंट्स की मदद से अपने काम करवा रहे हैं।

किर्गिस्तान में 21 मार्च को लॉकडाउन लगाया गया था।

हालांकि अब काफी हद तक हट गया है लेकिन पुलिस अब भी बाहर जाने पर पासपोर्ट और दूसरी चीजें चेक कर रही है,

यही वजह है कि ये बच्चे पिछले दो माह से भी ज्यादा समय से एक कमरे में कैद होकर रह गए हैं।

मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, यूपी सहित देश के तमाम राज्यों के हजारों स्टूडेंट्स किर्गिस्तान में फंसे हुए हैं।

किर्गिस्तान में लॉकडाउन लगने के पहले से ही ये लोग भारत आने की कोशिशें कर रहे हैं, लेकिन अभी तक आ नहीं पाए।

कुछ स्टूडेंट्स वंदे भारत मिशन के तहत लौट आए हैं,

कुछ की फ्लाइट शेड्यूल हुई हैं लेकिन ऐसे बहुत से हैं जिनके लौटने को लेकर असमंजस बना हुआ है।

स्टूडेंट्स कहते हैं कि, यहां हम बिना पासपोर्ट के कहीं नहीं जा सकते।

बहुत से स्टूडेंट्स के पासपोर्ट कॉलेज में जमा हैं, वो तो बाहर भी नहीं निकल सकते।

बाहर जाओ तो कहां जा रहे हैं, उसका पूरा रूट, किससे मिल रहे हैं,

कब आएंगे यह जानकारी नोट करवानी होती है इसलिए कोई बाहर निकलता ही नहीं।

किर्गिस्तान में टेम्प्रेचर कम होता है। पहले नलों से गरम पानी भी आता था, जो अब आना बंद हो गया है।

घर में गरम करो तो बिल बहुत ज्यादा आता है।

कई का राशन खत्म होने को है और पैसे भी उतने नहीं की खरीद सकें। ऐसी तमाम दिक्कतें हैं।

पढ़िए इन्हीं स्टूडेंट्स की कहानी, इन्हीं की जुबानी।

मप्र के स्टूडेंट्स: बैंक ने लोन कैंसिल किया तो कॉलेज ने पासपोर्ट जमा कर लिया

मप्र के छोटे से कस्बे हाटपिपलिया की मेरियन दास पिछले 5 माह से किर्गिस्तान में फंसी हुई हैं।

मेरियन किर्गिस्तान के कांट में एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूट से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थीं।

उनका फर्स्ट ईयर पूरा हो चुका था।

इसके बाद वे छुटि्टयों पर भारत आईं और 24 सितंबर को वापस किर्गिस्तान लौट गईं।

मेरियन पिछले 5 महीनों से किर्गिस्तान में फंसी हुई हैं।

वादा करने के बावजूद बैंक ने उन्हें एजुकेशन लोन नहीं दिया, इस कारण वे थर्ड सेमेस्टर की फीस जमा नहीं कर सकीं।

फीस जमा न करने के चलते कॉलेज ने उन्हें हॉस्टल में एडमिशन देने से इंकार कर दिया और उनका पासपोर्ट और वीजा भी जब्त कर लिया।

दिसंबर-जनवरी में जब मेरियन के सभी दोस्त हॉस्टल में शिफ्ट हो चुके थे, तब वो एक दूसरे फ्लैट में रहीं।

इसी बीच लॉकडाउन लग गया और खाने-पीने की दिक्कत भी होने लगी।

मरियन कहती हैं, किर्गिस्तान में इंडियन फूड सबसे पहले खत्म हुआ।

हम लोगों ने आपस में पैसे जोड़कर कुछ स्टॉक कर लिया था उसी से जैसे-तैसे दिन काटे।

इस बीच वे अपना पासपोर्ट और वीजा लेने के लिए लगातार कोशिशें करते रहीं लेकिन उन्हें कहीं से भी मदद नहीं मिल पाई।

मरियन कहती हैं, इसी बीच मुझे एग्जाम देने से रोक दिया गया। दिनरात मां और पापा से वॉट्स एप पर बात करती थी।

वो भी लगातार वहां से मुझे निकालने के लिए कोशिशें कर रहे थे लेकिन कुछ हो नहीं पा रहा था।

बड़ी कोशिशों के बाद पिछले हफ्ते ही मुझे इंदौर के विधायक रमेश मेंदोला की मदद से पासपोर्ट और वीजा मिल पाया।

उन्होंने इंडियन एम्बेसी में बात की फिर एम्बेसी के दखल के बाद कॉलेज ने वीजा-पासपोर्ट दिए।

मेरियन कहतीं हैं, कॉलेज के लोगों ने उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया। धमकियां दीं और अपशब्द तक कहे।

मेरियन ने बताया कि, कॉलेज के स्टाफ ने उनके साथ बहुत गलत व्यवहार किया।

मुझसे जबरन नोटरी पर लिखवाया कि यदि मैं फीस नहीं चुकाती हूं तो कॉलेज मेरे खिलाफ किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

मेरियन ने फर्स्ट ईयर की पूरी फीस भरी थी।

लेकिन लोन अप्रूव नहीं होने के कारण वे थर्ड सेमेस्टर की फीस नहीं भर पाईं थीं।

मेरियन की मां रीना दास के मुताबिक,

बैंक ने पहले लोन देने के लिए हां कर दिया था इसलिए हमने बच्ची को किर्गिस्तान भेजा लेकिन उसके वहां पहुंचने के बाद बैंक ने लोन देने से इंकार कर दिया।

बड़ी मुश्किल से हम लोगों ने उसकी पहले साल की फीस भरी।

लेकिन दूसरे साल बिना बैंक की मदद के ऐसा करना संभव नहीं था।

बैंक पहले ही लोन देने से इंकार कर देता तो हम बच्ची को बाहर भेजते ही नहीं।

मेरियन के मुताबिक वहां बहुत सारे भारतीय हैं।

सब एक-दूसरे को जानते हैं, इसलिए इस मुश्किल वक्त में इन्हीं से मदद मिल पाई।

वरना कॉलेज ने तो मरने के लिए छोड़ दिया था।

उन्हें हॉस्टल के बाहर रहने वाले बच्चों से कोई मतलब नहीं।

बच्चों की कोई फ्रिक नहीं। अब यहां फंसे हम 179 बच्चे विशेष फ्लाइट से 21 जून को अपने देश के लिए निकलेंगे।

किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे दीपक अंजाना भी 21 जून को लौटने वाले स्टूडेंट्स में शामिल हैं।

दीपक ने बताया कि यहां से निकलने के लिए हमें ‘मिशन मप्र’ शुरू किया था।

वॉट्सऐप पर मप्र के सभी स्टूडेंट्स का एक ग्रुप बनाया था।

इस ग्रुप के जरिए ही सरकार पर फ्लाइट भेजने के लिए दबाव बनाया।

दीपक कहते हैं यह एम्बेसी की लापरवाही से कुछ बड़ी दिक्कतें भी हुईं।

जैसे बिहार एक लड़की हॉस्पिटल में एडमिट थी लेकिन मेडिकल इमरजेंसी होने के बावजूद उसे पहली फ्लाइट से इंडिया नहीं भेजा गया।

1 जून को उसकी मौत हो गई।

दीपक कहते हैं, हम करीब दो माह से अपने फ्लैट से बाहर ही नहीं निकल सके।

दीपक के मुताबिक, किर्गिस्तान में भारत के करीब 10-15 हजार स्टूडेंट्स हैं।

अधिकतर की एग्जाम मई में हो चुकी है। अब सब कैसे भी अपने घर पहुंचना चाहते हैं।

कुछ ही एग्जाम बाद में ऑनलाइन होंगी।

दीपक के साथ ही रहने वाले रघुराज सिंह का पांचवा सेमेस्टर पूरा हो चुका है।

उन्होंने बताया कि, यहां 21 मार्च से 10 मई तक लॉकडाउन चला।

लॉकडाउन में हमें पासपोर्ट और रूट चार्ज अपने साथ रखना होता था।

रूट चार्ज से पुलिस को यह बताना होता था कि कहां जा रहे हैं और कितने बजे वापस आएंगे। पासपोर्ट दिखाना होता था।

कई स्टूडेंट्स के पासपोर्ट कॉलेज में जमा हैं, इसलिए वो बाहर नहीं जा सकते थे।

जो स्टूडेंट्स हॉस्टल में थे, वो तो पूरे लॉकडाउन में एक बार भी बाहर नहीं निकल सके।

यदि सबकुछ ठीक रहा तो हम लोग सितंबर में फिर यहां आ जाएंगे।

रघुराज कहते हैं, लॉकडाउन के बाद यहां यह महंगा हो गया था। इस कारण भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

राजस्थान: हम फंसे हुए हैं, अभी जो फ्लाइट जा रही उसमें हमारा नाम नहीं…

राजस्थान के तुषार जैन भी किर्गिस्तान में फंसे हुए हैं।

उन्होंने बताया कि, अभी तक हमारे जाने का यहां से कोई जरिया नहीं बन पाया है।

हम लगातार इंडियन एम्बेसी में संपर्क कर रहे हैं।

मैं खुद कई बार मेल कर चुका हूं लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला।

हमने चित्तौड़ के सांसद से भी बात की लेकिन कुछ हो नहीं पाया।

हालांकि यहां अब लॉकडाउन हट गया है तो कोई तकलीफ नहीं है लेकिन बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिनके एग्जाम हो गए।

मेरा तो फाइनल ईयर कम्पीलट हो गया।

अब कैसे भी हम जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहते हैं। अभी जो फ्लाइट जा रही है, उसमें मेरा नाम नहीं है।

यूपी के स्टूडेंट्स: बाहर निकलो तो पुलिस को बताना पड़ता है कि कहां और क्यों जा रहे हैं, कब लौटेंगे

यूपी के कपिल यादव ने बताया कि, मार्च से जाने के लिए ट्राय कर रहे हैं लेकिन अभी तक कुछ हो नहीं सका।

कपिल कहते हैं, यहां अब गरम पानी नहीं आ रहा। पहले एक नल से गरम पानी आता था दूसरे से ठंडा।

कपिल ने बताया कि यूपी के लिए अभी कोई फ्लाइट शेड्यूल नहीं हुई।

टेम्प्रेचर 18 से 20 डिग्री होता है। गरम पानी इस्तेमाल करने की आदत है।

यदि घर में करो तो बिल बहुत ज्यादा आता है।

खानेपीने का सामान भी लेने जाओ तो पासपोर्ट साथ में रखना पड़ता और बहुत पूछताछ होती है।

कहीं बाहर नहीं निकल सकते। निकलो तो पुलिस को बताना पड़ता है कि कहां जा रहे हैं, किससे मिलने जा रहे हैं और कब लौटेंगे।

साथ में पासपोर्ट भी रखना होता है।
इसलिए कोई निकलता ही नहीं।

सब फ्लैट में ही दिनरात काट रहे हैं। यूपी के हम 800-900 स्टूडेंट्स हैं।

अब किसी भी तरह यहां से निकलना चाहते हैं।

लगातार एक ही जगह रहने के चलते कई लोग स्ट्रेस में चले गए हैं।

हमारी सांसद वीके सिंह से भी बात हुई लेकिन कुछ मदद नहीं मिल सकी।

उन्होंने कहा कि जुलाई तक फ्लाइट शुरू हो सकती हैं।

छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट्स: हमारे साथ विधायक का बेटा भी पढ़ता है, फिर भी मदद नहीं मिली

छत्तीसगढ़ के कोसर आलम का भी अभी तक लिस्ट में नाम नहीं आया है।

कोसर ने बताया कि छत्तीसगढ़ के करीब 500 स्टूडेंट्स यहां हैं, जो निकल नहीं पा रहे हैं।

कोसर कहते हैं, घरवाले बहुत परेशान हैं। अब कैसे भी यहां से निकलना है। 

हम लॉकडाउन लगने के पहले से ही निकलने के लिए ट्राय कर रहे थे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।

हमारे साथ एक विधायक का बेटा भी पढ़ता है,

उसके जरिए भी बातचीत हुई लेकिन अभी तक हम लोगों को निकालने के लिए किसी ने कोशिश नहीं की।

कोसर कहते हैं कि, यहां एक कमरे में फंसे हुए हैं। एग्जाम हो गए। परिवार वाले चिंता में हैं।

घर की याद आ रही है। कैसे भी जल्द से जल्द निकलना चाहते हैं।

कई पत्र लिख चुके हैं लेकिन अभी तक फ्लाइट शेड्यूल नहीं हुई।

जम्मू-कश्मीर के भी करीब 800 स्टूडेंट्स कर्गिस्तान में फंसे हुए हैं।

वहां के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर इस बारे में बताया।

दूतावास ने कहा- पासपोर्ट रखकर लोन न लें
भारतीय पासपोर्ट को लेकर कर्गिस्तान में बिश्केक में स्थित भारतीय दूतावास द्वारा एक नोटिस भी जारी किया गया है

भारतीय दूतावास द्वारा जारी किया गया नोटिस। 
इसमें कहा गया कि कुछ भारतीय स्टूडेंट्स अन्य स्टूडेंट्स के पास अपना पासपोर्ट जमा करके उनसे लोन ले रहे हैं।
कुछ विदेशियों के पास भी पासपोर्ट जमा कर ऐसा कर रहे हैं।
यह पूरी तरह से गैर-कानूनी है क्योंकि भारतीय पासपोर्ट भारत सरकार की प्रॉपर्टी है।
ऐसा करते हुए कोई पाया जाता है, तो दूतावास ने उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।

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