उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा ज़िला एटा जहाँ सदर तहसील का पूरा अमला इस बात में लगा है कि पैदल चल रहे लोगों को उनके घरों तक कैसे भी ओर किसी भी हालत में पहुँचाया जाए परन्तु इस माहमारी के दौर में सदर तहसील एटा के SDM अबुल कलाम से लेकर तहसीलदार दुर्गेश यादव हो या फिर नायब तहसीलदार रविंद्र प्रताप सिंह या लेखपालों की पूरी टीम जो इन प्रवासियों के आने से लेकर जाने की व्यवस्थाओं में ख़ुद को झोंके हुए है
लेकिन ज़िला प्रशासन में सबसे बड़ी कड़ी कहे जाने वाले ज़िलाधिकारी सुखलाल भारती व ज़िलाचिकित्सा अधिकारी ओ पी अग्रवाल को क़तई यह आभास नहीं है कि जनेस्वर मिश्र ग्राउंड में जिन प्रवासियों को घर भेजने के लिए जिन कर्मचारियों व लेखपालो को लगाया है वो पूर्णतया इस महामारी के दायरे में आ सकते है,

यह द्रश्य भंडारे के नहीं है…
यह मानवता के साथ लाए बीमारी के द्रश्य है जो ख़ुद भी पेट से भूखे है तो वही यह कोरोना भी किसी को खा सकता है,लेकिन यह अपने कामों से बदनाम किये गए वो लेखपाल है जो इंसानो के लिए ख़ुद को मौत के साथ कबड्डी खेल रहें हैं,यह इस दौर के इतिहास रचियता है,जो दानव को भी दावत खिला दे ओर उससे यह ना पूछे कि तुम मुझे लेने आए हो।तुम सब ग्रेट हों..।

अगर कोरोंना हो गया तो……
अगर यही आलम रहा तो फिर लेखपाल संघ को वो दिन देखना पड़ सकता हैजिससे अभी तक यह सभी लेखपाल बचे हुए है ओर अगर एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में कोई भी एक लेखपाल आ गया तो फिर शुरुआत हो जाएगी,जिसे फिर उस लेखपाल का घर व उसके साथी भी संक्रमित होने से कोई भी कलेक्टर नहीं बचा सकता हैं।

वो PPE किट व मास्क कौन खा गया…..?
जब इस कोरोना ने आदमी खाना शुरू किया तो हमको लगा की भारत में कोरोना ने सरकार के जिले में आते-आते PPE किट तक कोरोना खा गया,परंतु जब हमने इस पूरे प्रकरण पर जाँचना शुरू किया तो पाया कि ज़िला प्रशासन की पेशकश पूरी करने के बाद ज़िला स्वास्थ्य विभाग ने इस किट की पूरी रक़म ही खा ली,जब कि ज़िला प्रशासन गाय ओर गोबर पर ध्यान दे रहा है लेकिन लेखपालों की जान दाँव पर लगा कर शासन से उत्कृष्ट कार्य का प्रमाणपत्र लेना चाहते है,

हमने इनको जान दाँव पर लगाते देखा है….!
एटा लेखपालों की टीम के अध्यक्ष नेम सिंह राजपूत के सहयोगियों में राजकपूर,अजय मोर्या,राजकुमार बर्मा,श्यामबाबु ,रामचंद्र वर्मा,राजबहादुर सिंह ,आदि को अपनी जान पर खेलते देख रहे है क्यूँकि यह सिर्फ़ इंसानो की परेशानी को देख रहे है।जब हमने यह जानने की कोशिस की कि क्या आपको PPE किट या मास्क मिले है तो बताया कि हमने अपनी आँख से देखी भी नहीं हैं कि किट होती केसी है।

तुम्हें लड़ना सिखाया हैं तुम लड़ सकते हों…
तुम जीते हुए हों..यह मेने कोख में हीं सीखा दिया था..।
एक माँ………………………
अब हम सब यह समझ सकते है कि ज़िला प्रशासन के लिए लेखपालो की ज़िंदगी सिर्फ़ एक मुट्ठी भर मिट्टी है।
पी एस राजपूत
Conference
एटा|