आगरा : कई धरोहरें लापता, मोहित हो जाये जिसे देख पर्यटक
गुमनाम धरोहरें: ताजमहल के साथ ये स्मारक भी हैं बेमिसाल खूबसूरत, सैलानी देखकर हो जाएंगे ‘कायल’
आगामी 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाना है।
इस दिन सरकारी और गैर सरकारी तमाम कार्यक्रम होंगे।
पिछले कई सालों से अनवरत ये सिलसिला चला आ रहा है।
पर्यटन प्रोत्साहन के वादे और दावे किए जाएंगे।
मगर, पूर्व के दावे और वादों की हकीकत यह है कि आज भी अधिकांश पर्यटक सिर्फ ताजमहल देखकर ही अपने गंतव्य को लौट जाते हैं।
जबकि यहां एक नहीं बल्कि तीन-तीन विश्वदाय (ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी) स्मारकों के अलावा आकर्षित करने वाले अन्य स्मारकों की लंबी फेहरिस्त है।
मगर, प्रचार-प्रसार के अभाव में पर्यटक यहां तक पहुंच ही नहीं पाते। इससे पर्यटन जगत को भी खासा नुकसान उठान पड़ रहा है।
जिन स्मारकों को देखने के बहाने पर्यटक जहां पूरा दिन गुजार सकता है, वहां वह चंद घंटों में ही ताज देखकर लौट जाता है।
इससे पर्यटकों का रात्रि में ठहराव भी नहीं हो पा रहा।
एत्मादउद्दौला: श्वेत संगमरमर से निर्मित यमुना पार बनी यह इमारत अत्यंत भव्य है।
इसका निर्माण नूरजहां द्वारा अपने पिता मिर्जा ग्यास बेग, जिसे एत्मादउद्दौला की उपाधि प्राप्त थी, की कब्र पर करवाया गया था।
जहांगीर की पत्नी और शाहजहां की मां जगत गुसांई की छतरी वेस्ट अर्जुन नगर में बनी है।
अकबर के मकबरे से लगभग एक किमी आगे कैलाश मोड़ के सामने इमारत को मरियम टूम कहा जाता है।
इस इमारत का स्थापत्य लोदी कालीन है।
कांच महल अकबर के मकबरे, सिकंदरा परिसर के बाहर स्थित है।
यह दोमंजिला इमारत है। इसमें कभी विभिन्न रंगों के चमकीली टाइल्स लगाई गई थीं, जो सूर्य की रोशनी में चमकती थीं।
ताजमहल देखने आने वाले पर्यटक दूसरे स्मारकों के बारे में जान सकें,
इसको लेकर भी कोई बंदोबस्त नहीं है।
पर्यटन विभाग ने दूसरे स्मारकों के बारे में न तो यहां कोई जानकारी प्रदर्शित की हुई और
न ही प्रचार सामग्री ही उपलब्ध है। ऐसे में अधिकांश पर्यटक यहीं से लौट जाते हैं।
राकेश चौहान, अध्यक्ष, होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन का कहना है कि
प्रचार-प्रसार किया जाए तो पर्यटकों के लिए आगरा में दो दिन भी कम पड़ेंगे।
इतिहास, पच्चीकारी, कला को समेटे कई स्मारक आज उपेक्षित हैं।
इनका समुचित प्रचार-प्रसार होना चाहिए। होटल व्यवसायी संदीप अरोरा का कहना है कि
सैलानी आता है, ताज देखता है और लौट जाता है, शहर को क्या मिलता है, पानी पीकर एक प्लास्टिक की बोतल फेंक जाता है,
चिप्स खाकर रैपर छोड़ जाता है, अगर सभी स्मारकों पर सैलानी जाएं तो रात में रुकें, पूरे शहर का भला हो, होटल, रेस्तरां, हस्तशिल्प उद्योग सभी का काम चले।
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