सैकड़ों करोड़ रुपये से निर्मित सुल्तानपुर-लखनऊ फोर-लेन सड़क धंसकर टूट गई

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घटिया निर्माण के चलते सैकड़ों करोड़ रुपये से निर्मित सुल्तानपुर-लखनऊ फोर-लेन सड़क असरोगा टोल प्लाजा के पास धंसकर टूट गई है।
सड़क धंसने की सूचना से एनएचएआई में हड़कंप मच गया।
एनएचएआई के निर्देश पर कार्यदायी संस्था ने आननफानन में फोर-लेन सड़क को उखाड़कर फिर से आरसीसी ढालने का कार्य शुरू करा दिया है।
करीब 2845 करोड़ रुपये से सुल्तानपुर से लखनऊ तक फोर-लेन सड़क का निर्माण कराया गया है।
लगभग छह माह पहले ही इस पर आवागमन शुरू किया गया है।
तकरीबन 127 किमी लंबी फोर-लेन सड़क के घटिया निर्माण की पोल छह माह के भीतर ही खुल गई है।
यह सड़क शहर से करीब 15 किमी दूर असरोगा टोल प्लाजा के पास धंसकर टूट गई है।
टोल प्लाजा पर ही कई जगह सड़क की आरसीसी धंसकर टूटने की सूचना लगते ही
एनएचएआई के अधिकारी सकते में आ गए।
एनएचएआई के निर्देश पर कार्यदायी फर्म ने टोल प्लाजा के पास टूटी
आरसीसी को आननफानन में उखड़वाकर मरम्मत कार्य शुरू करा दिया है।
“टोल प्लाजा के पास फोर-लेन सड़क के टूटने की जानकारी मिली है। फर्म को उसे दुरुस्त कराने के निर्देश दिए गए हैं। खामी के लिए फर्म की जिम्मेदारी तय की जाएगी।”
-एनएन गिरी, प्रोजेक्ट मैनेजर, एनएचएआई
निर्माणाधीन टांडा-बांदा हाईवे घटिया निर्माण की मार से उबर नहीं पा रहा है।
स्थिति यह है कि टू-लेन मार्ग पर शहर के पास लोहरामऊ रेलवे क्रॉसिंग पर बने ओवरब्रिज की छत माह भर में ही चार जगह धंसकर टूट गई।
एकतरफ ब्रिज की टूटी छत की कार्यदायी संस्था मरम्मत करा रही है तो दूसरी तरफ छत टूटती जा रही है।
दो दिन पहले ब्रिज की छत धंस कर फिर टूट गई।
फर्म की ओर से टूटी जगह से आवागमन रोककर मरम्मत कराई जा रही है।
दूसरी तरफ आवागमन वाले रास्ते की छत फिर धंसनी शुरू हो गई है।
ब्रिज की छत ढालने के लिए लगाए गए लोहे के जाल दिखने लगे हैं।
लगातार एक जगह के बाद दूसरी जगह ब्रिज की छत धंसकर टूटने से एनएचएआई के अधिकारी सकते में आ गए हैं।
कार्यदायी फर्म ने बिना एनएचएआई को सूचना दिए ही कार्य में लीपापोती शुरू कर दी है।
अंबेडकरनगर के टांडा से बांदा तक निर्माणाधीन टू-लेन मार्ग का पहला खंड टांडा से रायबरेली तक 156 किमी बन रहा है।
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इसकी लागत करीब 636 करोड़ रुपये है।
पहले खंड पर ही करीब 28 करोड़ की लागत से लोहरामऊ रेलवे क्रॉसिंग पर कार्यदायी संस्था ने ब्रिज बनाया है।
टू-लेन मार्ग स्थित ब्रिज की छत अब तक कई जगह टूटकर धंस चुकी है।
कार्यदायी संस्था ने उस पर पैच लगाया है।
“हाल में ब्रिज की छत टूटने की जानकारी फर्म ने नहीं दी है। इंजीनियरों को भेेजकर इसकी जांच कराई जाएगी। थर्ड पार्टी जांच के बिना सड़क का हैंडओवर नहीं लिया जाएगा।”                                                          -अब्दुल वासित, प्रोजेक्ट मैनेजर, टांडा-बांदा एनएचएआई

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