क्या देवरिया के नए पुलिस कप्तान लाचार कानून व्यवस्था की चुनौतियों से उबार पाएंगे!
देवरिया। वैसे तो देवों की नगरी के नाम से व देवरहा बाबा की तपोस्थली होने की वजह से
जनपद देवरिया किसी पहचान का मोहताज नहीं है।
किंतु पिछले कुछ महीनों में देखे तो इस देवभूमि पर दानवो का अत्त्याचार बढ़ सा गया है।
जिले में जून में खून की घटनाएं बढ़ी है। आए दूसरे -तीसरे दिन जिले में जगह -जगह लाशें मिल रही रहीं है।
जून के तापमान की तरह अपराध का भी पारा बढ़ रहा है ।
इतना ही नही लूट और चोरी तथा तस्करी की घटनाएं भी चरम पर है ।
ऐसे लगता है कि प्रशासन आंखे बन्द कर चैन की नींद सो रहा है।
ऐसे में नए पुलिस अधीक्षक श्रीपति मिश्र के लिए यह चुनौती भरा काम होगा कि
वे जनपद में बढ़ते अपराध के ग्राफ को रोक सकें। पूरे जिले की बात छोड़ कर अभी देवरिया शहर में ही
देखे तो अपराध का पारा जून के महीने के पारा से कंधे में कंधा मिला रहा है।
अभी दो दिन पहले ही मोहन रोड में चाकूबाजी हुई तो
इंटर में पढ़ने वाले लड़के की उसके ही साथियों के द्वारा ही पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी।
शहर में सटे जिलाधिकारी आवास के पास मालवीय रोड में गोलीबारी हुई।
अगर इन तमाम घटनाओं को देखे तो देवरिया अपने नाम के मूल्यों के आगे नाक रगड़ रही, बेबस व लाचार बन बैठी है।
प्रशासन के नियंत्रण से कही बाहर हो गया है अपराध को रोकना।
नए पुलिस अधीक्षक के लिए ला एंड आर्डर को बनाये रखने के लिए काफी काम करना पड़ेगा।
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