पंजाब विधानसभा का प्रस्ताव संघीय ढांचे की मूल भावना के विरुद्ध: शिवराज सिंह का कड़ा प्रहार

राष्ट्रीय जजमेंट

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को पंजाब विधानसभा द्वारा विकसित भारत-जी राम जी अधिनियम के विरोध में एक दिन का सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित करने की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह कदम भारत के संघीय ढांचे की मूल भावना के विरुद्ध है। इस मुद्दे पर बोलते हुए चौहान ने कहा कि लोकसभा में इस विधेयक पर विस्तार से चर्चा हुई थी और सरकार ने इसे पारित करने से पहले बहस के लिए पर्याप्त समय दिया था। चौहान ने कहा कि लोकसभा में इस विधेयक पर आठ घंटे से अधिक समय तक बहस हुई। मैं प्रत्येक सांसद के सुझावों को नोट कर रहा था। मैंने विपक्षी दलों से पहले ही कह दिया था कि आपको मेरी प्रतिक्रिया सुननी चाहिए, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और केवल हंगामा किया। मुझे बोलने से रोकने का प्रयास किया गया। संसद की मर्यादा का उल्लंघन हुआ, लेकिन फिर भी मैंने दृढ़ता से अपना पक्ष रखा।केंद्रीय मंत्री ने संसद द्वारा पारित कानून का विरोध करने के लिए पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के उद्देश्य पर भी सवाल उठाया और जोर देकर कहा कि इस तरह की कार्रवाई संवैधानिक सिद्धांतों को कमजोर करती है। उन्होंने आगे कहा कि आज पंजाब में एक दिवसीय सत्र चल रहा है, और इसके एजेंडे में संसद द्वारा पारित इस कानून पर चर्चा करना शामिल है। संसद में कानून बन चुका है, और विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करना हमारी संघीय संरचना की मूल भावना के विरुद्ध है।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकसित भारत-रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) (ग्रामीण विकास मिशन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी, जो ग्रामीण रोजगार नीति के परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह अधिनियम ग्रामीण परिवारों के लिए प्रति वित्तीय वर्ष 125 दिनों तक वैधानिक मजदूरी रोजगार गारंटी को बढ़ाता है। इसका उद्देश्य सशक्तिकरण, समावेशी विकास, विकास पहलों का अभिसरण और संतृप्ति-आधारित वितरण को बढ़ावा देना है, जिससे एक समृद्ध, लचीले और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की नींव मजबूत हो सके। यह अधिनियम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनआरईजीए) को एक आधुनिक वैधानिक ढांचे से प्रतिस्थापित करता है जो आजीविका सुरक्षा को बढ़ाता है और 2047 में विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है।

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