पश्चिम बंगाल में ‘अनमैप्ड’ वोटर्स की एसआईआर सुनवाई रोकी गई, अब क्या करने वाला है चुनाव आयोग?

राष्ट्रीय जजमेंट

भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने एक नए निर्देश में पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के चल रहे विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) के रूप में कार्यरत जिला मजिस्ट्रेटों (डीएम) को निर्देश दिया है कि वे ‘अमान्य’ के रूप में पहचाने गए मतदाताओं को सुनवाई के लिए नोटिस जारी न करें। चुनाव आयोग ने 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के मतदाताओं, साथ ही दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) और गर्भवती महिलाओं को सुनवाई केंद्रों पर उपस्थित होने से छूट दी है। पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (डब्ल्यूबीसीईओ) मनोज अग्रवाल ने कहा कि 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग, दिव्यांगजन और किसी भी आयु की गर्भवती महिलाएं जिन्हें आयोग द्वारा नोटिस जारी किया गया है, उन्हें सुनवाई के लिए आने की आवश्यकता नहीं है। बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) उनके घर जाकर उनसे संपर्क करेंगे और मतदाता सूची में उनका नाम शामिल करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों का सत्यापन करेंगे। बंगाल में 2002 में हुए पिछले मतदाता सूची सर्वेक्षण (एसआईआर) के दौरान मतदाता सूची में अपना, अपने माता-पिता या दादा-दादी का नाम न ढूंढ पाने वाले 32 लाख से अधिक मतदाताओं को 27 दिसंबर से शुरू हुई सुनवाई में उपस्थित होने के लिए कहा गया था। चुनाव आयोग ने केवल उन मतदाताओं की सुनवाई स्थगित की है जिनका नाम उसके केंद्रीय सॉफ्टवेयर सिस्टम में नहीं मिला, लेकिन जो 2002 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी में दर्ज थे। यह स्थगन जमीनी सत्यापन के बाद मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) द्वारा चिह्नित ‘अज्ञात’ मामलों पर लागू नहीं होता है। अग्रवाल के कार्यालय के सूत्रों ने स्पष्ट किया यद्यपि ऐसे मामलों के लिए केंद्रीय सॉफ्टवेयर प्रणाली से सुनवाई नोटिस जारी किए गए होंगे, लेकिन इन मतदाताओं को सुनवाई के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए और नोटिस को ईआरओ/सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) द्वारा सुरक्षित रखा जाना चाहिए। अधिकारियों ने बताया कि जब चुनाव अधिकारियों ने 2002 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी की जांच की, तो उन्होंने पाया कि चुनाव आयोग के सॉफ्टवेयर में ‘अमान्य’ के रूप में चिह्नित मतदाता या उनके बच्चे वास्तव में उपस्थित थे। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट 2 (बीएलए-2) को सुनवाई स्थलों के भीतर प्रवेश की अनुमति न देने का निर्णय लिया है। यह निर्णय तृणमूल कांग्रेस विधायक असित मजूमदार द्वारा हुगली जिले के अपने चिनसुराह निर्वाचन क्षेत्र में बीएलए-2 के प्रवेश की मांग को लेकर कथित तौर पर सुनवाई बाधित करने के बाद लिया गया। बताया जाता है कि इस मुद्दे पर उनकी ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) से झड़प भी हुई थी।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More